सादर अभिवादन
आज एक अक्टूबर है
और अन्तर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस है
नमन उन सबको
जाहिर है कल दो तारीख होगी
अग्रिम शुभकामनाएँ
चलिए चलें रचनाएँ देखे....
वृद्ध ...
प्रकृति का नियम अटल
आना-जाना काल-चक्र है
क्या मिला क्या खो गया
पोपला मुख पृष्ठ वक्र है
मोह-माया ना मिट सका
यह कैसा जीवन-कुचक्र है?
नवप्रस्फुटन की आस में
माटी को मैं दुलराता हूँ।
माँ मुझको भी रंग दिला दे
मुझको जीवन रंगना है
सपनों के कोरे कागज़ पर
इन्द्रधनुष एक रचना है !
सब विस्मृत बस सुमिरन उसका
वही-वही बस रह जाए जब,
उससे पूरा मिलन घटेगा
है यही प्रीत का परम सबब !
गिरोह गिरोह बस जुबाँ पर
एक ही नाम गिरोह
कौन बनाता है?कहाँ पनपता है?
पनाह कौन देता है?
जाति समुदाय का टिकट
है परिष्कृत मस्तिष्क तुम्हारा
किसी से कम नहीं हो
हर क्षेत्र में आगे बढी हो
है देश को गर्व तुम पर।
किसी भी प्रकार का कार्य हो
तुमने दक्षता से पूरा किया है
पूरी क्षमता से आगे बढी हो
पीछे मुड़ कर नहीं देखा है।
मेरा प्रणाम, उस दादी को, उस नानी को,
उस दादा को, उस नाना को
जो अपने नाती-पोतों को
लेना चाहते हैं अपनी गोद में
ज़िन्दगी का नाम है बहना, हर हाल में
बहना, कभी ज़ेरे ज़मीं, तो कभी
चट्टानों को तोड़ते हुए, ऊँची
पहाड़ियों के धूप समेटे
हुए, कभी बादलों
के साए में,
स्मृति
चिन्ह छोड़ते हुए, पेंचदार तटबंधों के
किनारे, उम्मीद के बीज बोते
हुए, उसे गुज़रना है हर
हाल में,
आज बस इतना ही
कल फिर
सादर
आज बस इतना ही
कल फिर
सादर
हमेशा की तरह सार्थक रचनाओं का संकलन व सुन्दर प्रस्तुति - - नमन सह।
ReplyDeleteशुभकामनाएं..
ReplyDeleteसादर वन्दना
अच्छी रचनाएँ..
बहुत ही सुंदर संकलन।मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीय दी ।
ReplyDeleteयशोदा अग्रवाल जी,
ReplyDeleteआभारी हूं कि आपने मेरी कविता को इस पटल पर शामिल किया।
आपके द्वारा चयनित सभी रचनाएं हृदय और विचारों को छूने वाली हैं। आपको पुनः धन्यवाद 🙏
गाँधी जयंती पर शुभकामनायें ! पठनीय रचनाओं का संयोजन, आभार !
ReplyDeleteसभी रचनाएँ सुन्दर
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