सादर वन्दे..
पल्लवन क्या होता है?
पल्लवन प्रायः किसी सूत्र, मुहावरे, लोकोक्ति, काव्य पंक्ति
आदि का ही किया जाता हैं। किसी विचार को भाव को
अपनी बौद्धिक क्षमता और ज्ञान से
पल्लवित किया जाना ही पल्लवन हैं।
आदि का ही किया जाता हैं। किसी विचार को भाव को
अपनी बौद्धिक क्षमता और ज्ञान से
पल्लवित किया जाना ही पल्लवन हैं।
अब रचनाओं की ओर..
चलो दुआ करें... ! मिट्टी को मिट्टी की समझ आये..।
मिट्टी मिट्टी में मिल जानी है.. ।
बाकी तो! शिकवा-गिला कहने-सुनने में ताउम्र गुजरी है..।
स्त्री से मत पूछना
दुःख की मात्रा
और सुख का अनुपात
स्त्री से मिलते वक्त
छोड़ आना अपने पूर्वानुमान
बचना अपने पूर्वाग्रहों से
विचलित होता चित्त रहा,
चिंतित है महाराज
छुप कर बैठे पाप कर्म है
गहरे गहरे राज
लगता है पाप
काटने से बरगद ,
बसते हैं उसमें एक
तथाकथित भगवान
.. शायद ...
जो सत्य है वो अमिट है उसे किसी
भी रबर से मिटाना आसान
नहीं। तुम्हारे हाथ में है
सभी लक्षित प्रहार
बिंदु, किन्तु
ज़रूरी
नहीं
कि हर लक्ष्य हो तुम्हारा अनुगामी !
और अंत में
व्हाट्सएप्प में आज की सर्वश्रेष्ठ पोस्ट
ईश्वर ने सृष्टि की रचना करते समय तीन विशेष रचना की...
1. अनाज में कीड़े पैदा कर दिए, वरना लोग
इसका सोने और चाँदी की तरह संग्रह करते।
इसका सोने और चाँदी की तरह संग्रह करते।
2. मृत्यु के बाद देह में दुर्गन्ध उत्पन्न कर दी, वरना कोई
अपने प्यारों को कभी भी अंतिम संस्कार नही करता।
अपने प्यारों को कभी भी अंतिम संस्कार नही करता।
3. जीवन में किसी भी प्रकार के संकट या अनहोनी के साथ
रोना और समय के साथ भुलना दिया, वरना जीवन में निराशा
और अंधकार ही रह जाता, कभी भी आशा, प्रसन्नता या
जीने की इच्छा नहीं होती।
जीना सरल है...
प्यार करना सरल है..
हारना और जीतना भी सरल है...
तो फिर कठिन क्या है?
सरल होना बहुत कठिन है।
...
बस
सादर
सुन्दर संकलन एवं प्रस्तुति, असंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
ReplyDelete500 के बाद 502वीं अंक की आपकी बेहतरीन प्रस्तुति में फिर से मेरी एक छोटी-सी रचना/विचार को स्थान देने के लिए आपका आभार ...
ReplyDeleteबेहतरीन अंक..
ReplyDeleteलिखती तो तुम थी ही..
पर इतना अच्छा चयन
पहलीबार देखा.।.
मस्त रहिए..
उव्वाहहहहहहह,
ReplyDeleteसादर..
सरल होना बहुत कठिन है
ReplyDeleteवाह !!!उत्कृष्ट विचार व लेखन
शुभ प्रभात सधु
Deleteआभार..
वाहः
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
हार्दिक आभार आपका