Sunday, October 25, 2020

519 ...चल कर ना मिलो, मिल के तो चलो

सादर अभिवादन
आज दशहरा है
आज रावण को मर ही जाना चाहिए
क्योंकि अब कोरोना भी है न हमारे साथ
चलिए चलते हैं रचनाओं की ओर..

आज की पहली रचना
लिंक पर अवश्य जाइएगा
इस लिंक के अंदर एक ही विषय पर
काफी रचनाएँ है...

दूर क्षितिज पर सूरज ने,
एक बात हमें है समझाई,
विपदाओं से लड़कर ही तो,
एक नई सुबह फिर है आई।
ये अस्त हो रहा यहां अभी,
पर कहीं सुबह की लाली है,
उम्मीद का दामन ना छोडो,



मन दिये में नेह रुप भरुँ  
बैठ स्मृतियों की मुँडेर पर।
समर्पण बाती बन बल भरुँ 
समय सरित की लहर पर।
प्रज्वलित ज्योति सांसों की 
बन प्रिय पथ पर पल-पल जलूँ।



एकाकी, हो चले हो, आज कल तुम,
हाँ, संक्रमण है, एकांत रहने का चलन है!
पर, स्पंदनों में, शूल सी चुभन है!
तो, यूँ एकांत में, क्यूँ खो रहे हो तुम?


आज मान्या व मेधा बेहद उत्साहित थीं। 
उनकी बेटी मेहा के लिए 
सेना सेवा कोर में 
स्थायी कमीशन हेतु मंजूरी पत्र 
उनके हाथों में था और 
तीनों के नेत्र संगम का 
दृश्य बनाने में सफल हो रहे थे।


कुछ भी नहीं चिरस्थायी, फिर इतने
सवालों के फ़ेहरिश्त किस लिए,
मौसम तो है जन्म से ही
बंजारा, आज यहाँ
तो कल जाने
कहाँ, न
भेजना मुझे कोई ख़त उड़ते पत्तों के
हमराह, मैं अभी तक हूँ मुंतज़िर
....
बस
पुनः शुभकामनाएँ
सादर

5 comments:

  1. बेहतरीन अंक...
    सादर...

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  2. सभी को विजयादशमी की असंख्य शुभकामनाएं - - सुन्दर संकलन व प्रस्तुति। मुझे शामिल करने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।

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  3. विजयोत्सव की हार्दिक बधाई के संग आभार आपका
    सभी लिंक्स पढ़ गयी.. उम्दा चयन

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  4. बहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति दी।मुझे स्थान देने हेतु दिल से आभार।

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  5. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति

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