सादर नमस्कार...
कल विजयादशमी है
मरेगा रावण?
एक प्रश्न चिन्ह
गर मर गया तो फिर राज कौन करेगा
सोचिए ज़रा....
....
कल विजयादशमी है
मरेगा रावण?
एक प्रश्न चिन्ह
गर मर गया तो फिर राज कौन करेगा
सोचिए ज़रा....
....
बस, होश है बाकी, शेष हूँ कहाँ मैं!
बेदखल, पराए गमों से, रह सका कहाँ मैं,
भिगोते ही रहे सदा, आँसूओं के घन,
बहला न पाया, मैं मन को,
बिखर कर, टूटना ही था, मन के टुकड़ों को!
याद आते बहुत पर तुम आते नहीं,
क्या कभी हम तुम्हें याद आते नहीं।
याद में आपके दिल परेशान है,
आप तो अपना वादा निभाते नहीं।
"ऐसा क्यों किया आपने? इतने आदर-मान के साथ आपकी बिटिया को बुलाने आयी को आपने स्पष्ट शब्दों में मना कर दिया?" श्रीमती मैत्रा ने श्रीमती सान्याल से पूछा।
"उनके घर के पुरुषों की चर्चा सम्मानजनक नहीं होते हैं..," श्रीमती सान्याल ने कहा।
"आप भी कानों सुनी बातों पर विश्वास करती हैं?"श्रीमती मैत्रा ने पूछा।
बेरंग पर्दों के किनार,
जिनके ओट से झांकता
मध्यमवर्गीय संसार,
आज और कल के मध्य
लहरों से जूझता
हुआ नौका,
अंतिम क्षण ढूंढे कोई पतवार।
पिता हूँ मैं ..
आँखें चौड़ी कर
आँक रहा चहुँओर
रो नहीं सकता
पर कलेजा है फटता
देख -देख चौखट की ओर
......
अंततः
आने वाले उत्सव की शुभकामनाएँ
सादर..
......
अंततः
आने वाले उत्सव की शुभकामनाएँ
सादर..
बेहतरीन..
ReplyDeleteआभार..
सादर..
शानदार प्रस्तुति उम्दा लिंक्स।
ReplyDeleteसभु रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं ःः
विजयादशमी की सभी को असंख्य अग्रिम शुभकामनाएं, मेरी रचना सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार, हमेशा की तरह सुन्दर अंक - - नमन सह ।
ReplyDeleteरावण/कंस/कैकई/मंथरा को मारना सभी चाहते/चाहती हैं ... मौका पाते रावण/कंस/कैकई/मंथरा बनना नहीं छोड़ते/छोड़ती हैं..
ReplyDelete–अशेष शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका..