सादर वन्दे
आज महाराजा अग्रसेन जी का जयन्ती है
शुभकामनाएँ..
शुभकामनाएँ..
और आज से ही शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ हो रही है
मातारानी सभी की मनोकामना पूर्ण करे
अब रचनाएँ देखें...
मातारानी सभी की मनोकामना पूर्ण करे
अब रचनाएँ देखें...
माँ मानव मन मन्दिर अब आओं ,
माँ जगत का कल्याण कर जाओ।
मिल गया है माँ का हमें आसरा ,
जग में न मिला कोई तेरे जैसा प्यारा।
यह माटी का तन है दीपक सा मन है,
भावों की बाती नहीं आस्था कम है ।
और तुम....
राह के किनारे
मारते चटकारे
खा रहे गिरा रहे
आधे -अधूरे...
और वे आँखों से पेट भरते
नाक से हैं सूंघते------
है गड्ढे पड़े गालों पे
और---
धंसे हैं पेट- पीठ में
कर रहे हैं तृप्त ये ,होठ अपने चाटके
लबलबाते चीभ इनके , जूठन को ताकते।
भले ही नागफनी सा दिखता हूँ.
ग़ज़ल बड़ी मखमली लिखता हूँ..
क़दर नहीं, पर हासिल भी नहीं.
वैसे, एक मुस्कान में बिकता हूँ..
तुमने खामोशी इख़्तियार करने को कहा था,
मैं गीत नहीं गाऊँगा,
तुम्हारी यादें सिरहाने पर दस्तक देती हैं,
मैं तुम बिन नहीं सो पाऊँगा,
चीर होता ही नहीं है कहीं
इसलिये हरण की बात कहीं भी नहीं होती है
कृष्ण जी भी चैन से बंसी बजाते है
‘उलूक’ की आदत
अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे
उसे हमेशा की तरह
इस सब में भी खुजली ही होती है ।
....
इति शुभम्
सादर
....
इति शुभम्
सादर
व्वाहहहह..
ReplyDeleteआभार..
सादर...
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ReplyDeleteहृदय उर्मियाँ
ReplyDeleteकरती वंदन
संभव हो अलौकिक दर्शन
इस धरा की यह सच्चाई
माँ ही तो है जीवनदायी
🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🙏
वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् | वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ||
🙏🙏🙏
।।सधु।।
सादर
ReplyDeleteआभार
आभार दिव्या जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर। सभी रचनाएँ शानदार। मेरी रचना शामिल करने के लिए विशेष आभार।
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