Saturday, October 10, 2020

504 ..वो दिया बनूँ जो तुम्हारे राह का उजाला बने

सादर अभिवादन
आज एतिहासिक दिन
10 10 20 20
अजीब इत्तिफाक है कि हमारा कम्प्यूटर खराब हो गया है
सो आज की प्रस्तुति इस स्टाईल में

शुरु करते हैं एक नए ब्लॉग से
वो दिया बनूँ जो
तुम्हारे राह का उजाला बने।
वो पैर बनूँ जो
तुम्हारे संघर्ष का छाला बने।
हर दिन हर पल मैं तुम्हारी
मुस्कुराहट की वजह बनूँ
-"सधु चन्द्र"





4 comments:

  1. स्टाइल जो भी हो यशोदा जी सूत्र बड़े ही मनोरम हैं और आज का संकलन बहुत उम्दा है ! हार्दिक धन्यवाद मेरी रचना का लिंक सम्मिलित करने के लिए ! बहुत बहुत आभार आपका एवं सप्रेम वन्दे सखी !

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  2. उत्कृष्ट रचनाएँ
    मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार दीदी
    सादर नमन 🙏

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  3. मेरी ब्लॉगपोस्ट को शाम‍िल करने के ल‍िए धन्यवाद यशोदा जी

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  4. ''इस्टाइल'' कुछ भी हो रोचक होना चाहिए ! वैसे बदलाव चाहे मजबूरी में ही हो, भाता है ! होते रहना चाहिए

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