सादर अभिवादन
10 और नए संक्रमण
छत्तीसगढ़ में
10 और नए संक्रमण
छत्तीसगढ़ में
बात तो है ही चिन्ता की
विधि का लेखन
मेट सका है कौन...
फैला हुआ है कोरोना
लेखन में भी..
...
चलिए आज की रचनाओं की ओर...
विधि का लेखन
मेट सका है कौन...
फैला हुआ है कोरोना
लेखन में भी..
...
चलिए आज की रचनाओं की ओर...
वार्डरॉब उदास हैं,
पोशाकें परेशान हैं,
कोई नहीं ले रहा
उनकी सुध,
कोई नहीं पूछ रहा
आईने से
कि कौन सी ड्रेस
फबेगी उस पर.
जब भी कुछ परेशानी होती
या कोई कठिनाई आए
मुझे चिंता मुक्त करने के खातिर
कभी माँ, कभी बहन
कभी सखी बन जाती है
माँ तू कितने किरदार निभाती है l
मैं अंतर्मन तू है शरीर
चंचल, चपल, विकल है तू, मैं गहन,
धीर, गंभीर मैं अंतर्मन,
तू है शरीर ....
मिथ्या बौद्धिकता,
झूठे अहम और छद्म आभिजात्य
के मुखौटे के पीछे छिपा
तुम्हारा लिजलिजा सा चेहरा
मैंने अब पहचान लिया है
और सच मानो
इस कड़वे सत्य को
स्वीकार कर पाना मेरे लिए
जितना दुष्कर है उतना ही
मर्मान्तक भी है !
एक बात और बताऊं। मैं अपना लेखन खाली बैठकर ही किया करता हूं। खाली रहकर ही अधिक अच्छा लिख पाता हूं। लेखन है ही बैठे-ठाले का काम। पता नहीं अन्य लेखक लेख व किताब लिखने के लिए कई-कई दिन कैसे बर्बाद कर देते हैं। मैं उतना ही लिखता हूं, जितना मेरा खालीपन परमिशन देता है।
लॉकडाउन की छ्त्र-छाया में जो हैं, वे खाली रहें। स्वस्थ रहें। लेकिन घरों में ही रहें। घर में रहकर अपने खालीपन को एंजॉय करें।
जीना भी इक मुश्किल फन है
सबके बस की बात नहीं
कुछ तूफान ज़मीं से हारे,
कुछ क़तरे तूफ़ान हुए
अपना हाल न देखे कैसे, सहरा भी आईना है
नाहक़ हमने घर को छोड़ा, नाहक़ हम हैरान हुए
आज बस
कल फिर
सादर
आज बस
कल फिर
सादर
स्मृतिशेष कलाकार इरफ़ान भाई को
ReplyDeleteअश्रुपूरित श्रद्धासुमन..
बहुत बहुत धन्यवाद यशोदा जी
ReplyDeleteआज की प्रस्तुति के लिए साधुवाद यशोदा बहन.. ख़ास कर राही साहब से रूबरू कराने के लिए।
ReplyDeleteएक ख़ास बात से आज पहली बार रूबरू हुआ। दरअसल लिखने की आदत तो है मेरी पर ज्यादा या कम यानि सच तो ये है कि ना पढ़ने की गन्दी बीमारी है। पर अभी लॉकडाउन की अवधि में पढ़ भी लेता हूँ। मन को छूने पर यथोचित प्रतिक्रिया के लिए उँगलियाँ मचल भी जाती हैं। इसी दौरान देखा कि आज की प्रस्तुति के बहुत सारे ब्लॉगरों ने Beware of Dog. की तख़्ती की तरह - " Your comment will be visible after approval. " की तख़्ती लगा रखी है। जनाब ! आप लिखेंगे publicly blog पर और comment को approval के लिए इंतज़ार करवायेंगें। आपको अपनी लेखनी पर विश्वास नहीं क्या ? आपको क्यों लगता है कि कोई बेरोज़गार बैठ है आपके पोस्ट पर कुछ भी ऊलजलूल लिख कर जाएगा।
खैर ! एक ने तो एक तरफ लिख रखा है कि -
" टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है.अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई ,तो अपनी कीमती राय कमेन्ट बॉक्स में जरुर दें.आपके मशवरों से मुझे बेहतर से बेहतर लिखने का हौंसला मिलता है." और दूसरी तरफ अंग्रेजी में approval वाली तख़्ती।
अब ये लो ... ये तो वही बात हो गई कि बगुले को सारस ने न्योता तो दिया पर थाली में परोस कर।
कृपया सारस की जगह लोमड़ी पढ़ा जाए।
Deleteबहुत बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति यशोदा जी ! आज के अंक में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
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