सादर अभिवादन
आज 5 मार्च
रात 9 बजे एक लौ
चाहे वह दीपक की हो
या मोमबत्ती की
एक जिम्मेदारी के साथ
हर हाथ.... देश के साथ
अब चलें रचनाओं की ओर
जयकृष्ण राय तुषार
खुली खिड़कियों
से देखेंगे
तारों भरा गगन ,
मन के जोगी
आज लगाना
माथे पर चन्दन ,
झीने घूँघट
में ही आना
आज चाँदनी रात |
जुगनू ...ओंकार जी
फिर भी मैं खड़ा हो जाऊंगा
घर की देहरी पर,
फैला दूंगा हथेलियाँ,
आ बैठेगा उनमें
कोई-न-कोई जुगनू
जब बंद हो जाएंगे बल्ब,
जब नहीं जल रही होगी
कहीं कोई ट्यूबलाइट.
सफ़ेद कुरता....नीलिमा शर्मा
आज तुमको यह कहने की
क्यों जरुरत आन पढ़ी हैं
सामने आज मेरी पुरानी
अलमारी खुली पड़ी हैं
किस्से दबे हुए हैं जिस में
कहानिया बिखरी सी
और उस पर मुह चिढ़ाता
तेरा उतारा सफ़ेद कुरता भी
दीप जलाएं! ...राकेश श्रीवास्तव
एकता का हम अलख जगाएं,
हम सब मिलकर दीप जलाएं।
रण में हैं सब अपने बल पर,
मिल सभी एक जोर लगाएं।
कोई न हो निराश अभी से
आशा का हम दीप जलाएं।
अपनी मोहब्बत में .... सुधा सिंह 'व्याघ्र'
मोहब्बत में हमें अपनी बेकरार कर लो।
अपने चहेतों में हमें भी शुमार कर लो।।
हम लाख हसरतें लिए बैठे हैं दिल में
अपने जीवन का हमको हकदार कर लो।।
...
आज बस
कल फिर
सादर
जुगनू ...ओंकार जी
फिर भी मैं खड़ा हो जाऊंगा
घर की देहरी पर,
फैला दूंगा हथेलियाँ,
आ बैठेगा उनमें
कोई-न-कोई जुगनू
जब बंद हो जाएंगे बल्ब,
जब नहीं जल रही होगी
कहीं कोई ट्यूबलाइट.
सफ़ेद कुरता....नीलिमा शर्मा
आज तुमको यह कहने की
क्यों जरुरत आन पढ़ी हैं
सामने आज मेरी पुरानी
अलमारी खुली पड़ी हैं
किस्से दबे हुए हैं जिस में
कहानिया बिखरी सी
और उस पर मुह चिढ़ाता
तेरा उतारा सफ़ेद कुरता भी
दीप जलाएं! ...राकेश श्रीवास्तव
एकता का हम अलख जगाएं,
हम सब मिलकर दीप जलाएं।
रण में हैं सब अपने बल पर,
मिल सभी एक जोर लगाएं।
कोई न हो निराश अभी से
आशा का हम दीप जलाएं।
अपनी मोहब्बत में .... सुधा सिंह 'व्याघ्र'
मोहब्बत में हमें अपनी बेकरार कर लो।
अपने चहेतों में हमें भी शुमार कर लो।।
हम लाख हसरतें लिए बैठे हैं दिल में
अपने जीवन का हमको हकदार कर लो।।
...
आज बस
कल फिर
सादर
अच्छे लिंक्स |आपका हार्दिक आभार
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति यशोदा बहन।
ReplyDeleteबढ़िया लिंक।
ReplyDeleteसुन्दर संकलन. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया.
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