देवी जी आज व्यथित है
उनका व्यथित होना संदेहास्पद है
कारण अब तक लापता है...
कल तक पता चलेगा
चलिए छोड़िए...
होइहै वही तो राम रचि राखा
को करि तर्क बढ़ावे साखा
कल का अंक लघुकथा अंक सा लग रहा था...
देखें आज क्या है......
बीती रात की बारिश ...प्रतिभा कटियार
कल रात बारिश हुई...रात भर...तेज़ नहीं मध्धम बारिश. मैं रात भर भीगती रही...कांपती रही. सुबह को उठी हूँ तो धरती सूखी है, पत्तियों पर, फूलों पर, तितलियों पर कहीं बारिश के नामो निशान नहीं हैं. लेकिन मैं खुद को भीगा हुआ ही महसूस कर रही हूँ. काँप रही हूँ.
फिक्र ...आशा सक्सेना
हो किस बात की फिक्र
मन सन्तुष्टि से भरा हुआ है
कोई इच्छा नहीं रही शेष
ईश्वर ने भरपूर दिया है |
है वह इतना मेहरवान कि
कोई नहीं गया भूखा मेरे द्वार से
होती चिंता चिता के सामान
पञ्च तत्व में मिलाने का
एहसास भी नहीं होता
काबिले तारीफ- ओडिशा ....आत्ममुग्धा
बस, यही अब हमे करना है। किसी वर्ग विशेष पर दोषारोपण करना छोड़िये और बचाव कार्यों पर ध्यान केंद्रित करे। किस देश ने गलती की, किस वर्ग विशेष ने गलती की....अब ये न गिने....अब देखे कि हम अपनी तरफ से बेहतर क्या कर सकते है। फिलहाल तो हमे घरों में रहना है, हमारी जिंदगियों का पैटर्न बदल रहा है । लॉकडाउन के बाद हम कैसे रहेंगे ये बात अभी विचाराधीन है । कमिया मत निकालिये....एक ईकाई के स्तर पर रहकर सोचे। आत्मनिर्भरता बढ़ाये। ये जिंदगी की जंग है....कंम्फर्ट जोन में रहकर तो कभी न जीत पायेंगे। पूरी लाइफ स्टाईल बदलने वाली है आपकी, इस बदलाव को सहजता से लेकर आगे बढ़े....मन के साथ की अपेक्षा भले ही रखे पर बढ़े हाथ की नहीं । अपने कार्यों और क्रियाओं की जवाबदारी लेना सीखे।
मेरी फ़ितरत में है लड़ना ...निजाम फतहपुरी
मेरी फ़ितरत में है लड़ना सच के लिए
तू डराएगा तो क्या मैं डर जाऊँगा
झूठी दुनिया में दिल देखो लगता नहीं
छोड़ अब ये महल अपने घर जाऊँगा
मौत सच है यहाँ बाक़ी धोका "निज़ाम"
सच ही कहना है कह के गुज़र जाऊँगा
भला क्यों ? ...सुबोध सिन्हा
आपादमस्तक
बेचारगी के
दलदल में भी
ख़ुशी का
हर गीत..सच में
चमत्कार-सा लगे
चलते- चलते उलूक का एक शोध
ऊपर वाला
जरूर किसी
अन्जान
ग्रह का
प्राणी वैज्ञानिक
और मनुष्य
उसके किसी
प्रयोग की
दुर्घटना
से उत्पन्न
श्रंखलाबद्ध
रासायनिक
क्रिया का
एक ऐसा
उत्पाद
रहा होगा
जो
परखनली
से निकलने
के बाद
कभी भी
खुद सर्व
शक्तिमान
के काबू में
नहीं रहा होगा
आज बस
देवी जी को कल आना है
वे डिप्रेशन से बाहर आ गई है
सादर
उनका व्यथित होना संदेहास्पद है
कारण अब तक लापता है...
कल तक पता चलेगा
चलिए छोड़िए...
होइहै वही तो राम रचि राखा
को करि तर्क बढ़ावे साखा
कल का अंक लघुकथा अंक सा लग रहा था...
देखें आज क्या है......
बीती रात की बारिश ...प्रतिभा कटियार
कल रात बारिश हुई...रात भर...तेज़ नहीं मध्धम बारिश. मैं रात भर भीगती रही...कांपती रही. सुबह को उठी हूँ तो धरती सूखी है, पत्तियों पर, फूलों पर, तितलियों पर कहीं बारिश के नामो निशान नहीं हैं. लेकिन मैं खुद को भीगा हुआ ही महसूस कर रही हूँ. काँप रही हूँ.
फिक्र ...आशा सक्सेना
हो किस बात की फिक्र
मन सन्तुष्टि से भरा हुआ है
कोई इच्छा नहीं रही शेष
ईश्वर ने भरपूर दिया है |
है वह इतना मेहरवान कि
कोई नहीं गया भूखा मेरे द्वार से
होती चिंता चिता के सामान
पञ्च तत्व में मिलाने का
एहसास भी नहीं होता
काबिले तारीफ- ओडिशा ....आत्ममुग्धा
बस, यही अब हमे करना है। किसी वर्ग विशेष पर दोषारोपण करना छोड़िये और बचाव कार्यों पर ध्यान केंद्रित करे। किस देश ने गलती की, किस वर्ग विशेष ने गलती की....अब ये न गिने....अब देखे कि हम अपनी तरफ से बेहतर क्या कर सकते है। फिलहाल तो हमे घरों में रहना है, हमारी जिंदगियों का पैटर्न बदल रहा है । लॉकडाउन के बाद हम कैसे रहेंगे ये बात अभी विचाराधीन है । कमिया मत निकालिये....एक ईकाई के स्तर पर रहकर सोचे। आत्मनिर्भरता बढ़ाये। ये जिंदगी की जंग है....कंम्फर्ट जोन में रहकर तो कभी न जीत पायेंगे। पूरी लाइफ स्टाईल बदलने वाली है आपकी, इस बदलाव को सहजता से लेकर आगे बढ़े....मन के साथ की अपेक्षा भले ही रखे पर बढ़े हाथ की नहीं । अपने कार्यों और क्रियाओं की जवाबदारी लेना सीखे।
मेरी फ़ितरत में है लड़ना ...निजाम फतहपुरी
मेरी फ़ितरत में है लड़ना सच के लिए
तू डराएगा तो क्या मैं डर जाऊँगा
झूठी दुनिया में दिल देखो लगता नहीं
छोड़ अब ये महल अपने घर जाऊँगा
मौत सच है यहाँ बाक़ी धोका "निज़ाम"
सच ही कहना है कह के गुज़र जाऊँगा
भला क्यों ? ...सुबोध सिन्हा
आपादमस्तक
बेचारगी के
दलदल में भी
ख़ुशी का
हर गीत..सच में
चमत्कार-सा लगे
चलते- चलते उलूक का एक शोध
ऊपर वाला
जरूर किसी
अन्जान
ग्रह का
प्राणी वैज्ञानिक
और मनुष्य
उसके किसी
प्रयोग की
दुर्घटना
से उत्पन्न
श्रंखलाबद्ध
रासायनिक
क्रिया का
एक ऐसा
उत्पाद
रहा होगा
जो
परखनली
से निकलने
के बाद
कभी भी
खुद सर्व
शक्तिमान
के काबू में
नहीं रहा होगा
आज बस
देवी जी को कल आना है
वे डिप्रेशन से बाहर आ गई है
सादर
आभार दिग्विजय जी।
ReplyDeleteआपका आभार आज की रोचक प्रस्तुति में मेरी रचना/विचार को स्थान देने के लिए ...
ReplyDeleteसुप्रभात
ReplyDeleteउम्दा लिंक्स आज के अंक की |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद दिग्विजय जी |