सादर अभिवादन
खुश खबर
कामवाली बाई आज काम पर आई है
कहा सिर्फ बर्तन व झाड़ू पोछा करेगी
खुश खबर
कामवाली बाई आज काम पर आई है
कहा सिर्फ बर्तन व झाड़ू पोछा करेगी
काम सारा निपटा चुके थे
इन दिनों आदत सी बन गई थी कि
स्नान के उपरान्त अपने कपड़े स्वयं धोकर लाए
और जिसमें जिसने खाया वो
तुरन्त साफ कर रख दे...
सो.. उसके लिए काम ही कुछ नही था
हमने उसे बिठाया...नाश्ता दिया और
सो.. उसके लिए काम ही कुछ नही था
हमने उसे बिठाया...नाश्ता दिया और
पगार भी दे दिया और कहा
आराम करे घर पर...
...
रचनाओं पर एक नजर...
...
रचनाओं पर एक नजर...
तुम तो
नफरत की सिलाइयों से
अपनी बदबूदार सोच का
एक मैला सा स्वेटर बुनो
क्योंकि
तुम्हें क्या मतलब इससे
कि देश मेरा जल रहा है
कराह रहा है
बंट रहा है
तड़प रहा है
तमाशा .....श्वेता सिन्हा
मेंढकों की आज़माइश है
दयालुता बनी नुमाइश है,
सिसकियों के इश्तेहार से,
बन रहे हैं पाशा देखिये।
भूख के नाम पर,
हर दिन तमाशा देखिये।
तमाशा .....श्वेता सिन्हा
मेंढकों की आज़माइश है
दयालुता बनी नुमाइश है,
सिसकियों के इश्तेहार से,
बन रहे हैं पाशा देखिये।
भूख के नाम पर,
हर दिन तमाशा देखिये।
आज घर के सिरहाने पे
बैठी आधी रात
पूरा शहर शांत
सड़क पे जाती ट्रॉली
गड्ढों से घर्षण
और उठती एक आवाज़
बारिश की बूंदें
दूसरे छोर से आती
शंखनाद कर पल पल
दिखती सुनती
वक़्त की नदी सब बहा कर ले जाएगी
किंतु तट की भूमि उपजाऊ कर जाएगी ।
जिस घर को सब कुछ दाँव पर लगा कर बनाया ।
कुछ दिन उस घर के हर कोने को जी कर देखो ।
मजदूरों को इस अवसर पर
भूख मिटाये बनकर ईश्वर
रीत धर्म की सरल बहुत है
शाम धरा की विकल बहुत है....
इक दूजे से दूर रहे सब
क्लेश का कंटक मुक्त करे अब
आश सफल हो पहल बहुत है
डूब के
सुकूँ मे ही
मौत की
तमन्नाएं होती हैं
सुकूँ
तलाशना
कौन चाहता है
किसे पता है
जब होश नहीं
होता है सुकूँ को
खुद को ढूँढने
चला जाता है
सुकूँ लिखता है
हर कोई
दीवाना यहाँ
बहुत खुश
नजर आता है
अलग बात है
कभी बेख़ुदी में
तलाश-ए-सुकूँ
को निकल जाता है
...
बस
*आत्म कथ्य*
आदतें सब की सुधर चुकी
चटोरी जीभ को भी घर का स्वाद
पसंद आने लगा है..
सारा का स्वतः ही होने लगा
अब कामवाली का झंझट क्यों
काम करते-करते घर पर ही
व्यायाम हो जाता है
सभी का स्वास्थ्य ठीक है
शायद आपके यहां भी ऐसा ही कुछ
हो रहा होगा..
सादर..
बस
*आत्म कथ्य*
आदतें सब की सुधर चुकी
चटोरी जीभ को भी घर का स्वाद
पसंद आने लगा है..
सारा का स्वतः ही होने लगा
अब कामवाली का झंझट क्यों
काम करते-करते घर पर ही
व्यायाम हो जाता है
सभी का स्वास्थ्य ठीक है
शायद आपके यहां भी ऐसा ही कुछ
हो रहा होगा..
सादर..
हार्दिक आभार, आदरणीया सखी ।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों का अभिनंदन ।
उम्मीद है सभी स्वस्थ हैं ।
ख़याल रखिएगा ।
जबरदस्त शीर्षक...
ReplyDeleteतगज़्ज़ुल कहते हैं..
सादर..
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteबकबक-ए-उलूक को साँध्य दौनिक की फुनगी पर बैठाने के लिये आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteबहुत आभारी हूँ दी।
ReplyDeleteआपका स्नेह बना रहे।
सादर।
सुंदर प्रस्तुति 👌🏻👌🏻👌🏻
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