भारतरत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी
का जन्म दिन है आज..
शत-शत नमन
संविधान के रचयिता को
........
लॉक डाऊन
अब 03 मई तक
प्रधान मंत्री द्वारा आज घोषणा
सहूलियतें भी जारी की गई
का जन्म दिन है आज..
शत-शत नमन
संविधान के रचयिता को
........
लॉक डाऊन
अब 03 मई तक
प्रधान मंत्री द्वारा आज घोषणा
सहूलियतें भी जारी की गई
......
हमें भी अपने और अपने परिवार की
सुरक्षा को सुदृढ़ करना होगा
और पड़ोसियों को भी इस बात के लिए
प्रेरित करना होगा
....
चलें रचनाओँ की ओर..
हमें भी अपने और अपने परिवार की
सुरक्षा को सुदृढ़ करना होगा
और पड़ोसियों को भी इस बात के लिए
प्रेरित करना होगा
....
चलें रचनाओँ की ओर..
मारूत से तू बढ़ना सीखो ।
जल-धारा से बहना सीखो।
इस जीवन की राह बड़ी है ,
चंदा से तू चलना सीखो ।
अग्नि- धूम से शिक्षा लेकर ,
पर्वत पर चढ़ता जा ।
छूकर गुजरती धार
उस अजनबी शहर के
तट-सा मन मेरा
बहुत है ना .. जानाँ !
भींग जाने के लिए
आपादमस्तक हमारा ...
मूँगे की चट्टानों के
भव्य चित्रों सी
रंगबिरंगी भी
नहीं होती।
अपितु वह
इन्द्रधनुष सी होती है
सात रंग दिखाती है
पर दर्शन उसका
भयाक्रांत कर जाता है।
सुरभि से बग़िया लहरायी
मधुप गाते बनकर साज ।
मुग्ध पवन हर्षित है देख
इंद्रलोक धरा पर आज ।
उर आहता चहका पंछी
मन में भरे उजास सखी ।।
....संगीता श्रीवास्तव 'सुमन'
किसी के दिल का जहाँ न होगा
ये वक़्त जो मेहरबाँ न होगा ||
न ये ज़मीं आसमाँ न होगा
गुलों को फिर गुलसिताँ न होगा ||
क़दम क़दम पे हैं मुश्किलें सौ
जो मुड़ गये आशियाँ न होगा ||
...
आज बस
ये गीत सुनें
...
आज बस
ये गीत सुनें
उत्तम
ReplyDeleteआभार
सादर
बहुत सुंदर संग्रह ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति, बीत गया मधुमास सखी, बेहतरीन
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति आदरणीय सर बहुत ही सुंदर गीत के साथ. मेरे नवगीत को स्थान देने हेतु सहृदय आभार
ReplyDeleteसादर
वाह बेहतरीन प्रस्तुति आदरणीय।मेरे गीत को स्थान देने के लिए हृदय तल से सुक्रिया।
ReplyDeleteवाह!बहुत सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteइस मंच की प्रस्तुति में मेरी रचना/विचार को जगह देने के लिए आभार आपका ...
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