सादर अभिवादन..
सभी राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़
अभी तक शान्त है कोरोना को मामले में
रमजान का पाक महीना आने वाला है
लोग इबादत में रोज़ा रखते हैं
अल-सुबह चार बजे से सूर्यास्त तक
निर्जल रहते हैं ..ऐसे में मुंह में आनेवाले
सभी राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़
अभी तक शान्त है कोरोना को मामले में
रमजान का पाक महीना आने वाला है
लोग इबादत में रोज़ा रखते हैं
अल-सुबह चार बजे से सूर्यास्त तक
निर्जल रहते हैं ..ऐसे में मुंह में आनेवाले
लार को भी गटकना वर्जित है..
शासन से अपेक्षा है रोज़ेदारों को
रेत से भरा थूकदान मुहैय्या कराएँ
अस्तु..
चलिए रचनाएं देखें..
रेत से भरा थूकदान मुहैय्या कराएँ
अस्तु..
चलिए रचनाएं देखें..
-कुंवर बेचैन
इस नए माहौल में जो भी जिया बीमार है
जिस किसी से भी नया परिचय किया बीमार है
हंस रही है कांच के कपडे पहनकर बिजलियाँ
उसको क्या मालूम मिट्टी का दिया बीमार है
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
छुपा के रख हरेक राज,
अपनी बेतकल्लुफी का,
करके मिलेगा भी क्या तुझको,
जफा़ जिन्दगी से।
ये ऐतबार तेरा बनने न पाये,
बेऐतबारी का सबब,
जिंदा है,जोड़े रख 'परचेत',
फलसफा़ जिन्दगी से।
आओ सुनायें "कि" "की" की कहानी।
छोटी - सी एक बात है, तुमको बतानी।
एक है छोटी (ह्रस्व) "कि"
और दूजी बडी (दीर्घ ) "की"
सुनने में एक समान, पर फर्क बड़ा जी।
सुनने में एक समान, पर फर्क बड़ा जी।
मिलते रहते हैं ज़िन्दगी से अक्सर
वरना भूल जायेंगे मुस्कराना भी ,
के सयाने हुए
नहीं जानते के किसको क्या पढायें हम
ये दुनिया के सबक हिला गये हैं ,
के अल्हदा ठिकाने हुए
अपनी ताक़त पे जो इतरा रहे थे दुनियाँ में ।
आज वो मुल्क भी लाचार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
वो क़यामत है क़रोना की तरह छूते ही ।
दिल हज़ारों हुए बीमार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
क़ैद हूँ घर में मिलूं भी तो भला कैसे मिलूं ।
याद तड़पाये बहुत बार ख़ुदा ख़ैर करे ।।
...
बस आज इतना ही
कल फिर
सादर
बस आज इतना ही
कल फिर
सादर
व्वाहहहह...
ReplyDeleteबेहतरीन..
सादर..
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति । जखीरा को शामिल करने हेतु धन्यवाद
ReplyDeleteआभार आपका इस प्रस्तुति हेतु।
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