आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है
प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1950 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी समस्याओं पर विचार करना है। हमारी तो सदियों से धारणा रही है कि 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया' तथा 'जान है तो जहान है'।
सादर अभिवादन
सीधे चलें रचनाओं की ओर ....
एक दिया अखंड एकता के नाम ...ऋता शेखर "मधु"
पूरे विश्व के लिए अभी बहुत कठिन दौर है| हमारा देश कोरोना वायरस के चपेट में आकर लॉकडाउन में चल रहा है| कोरोना वायरस श्वसन तंत्रिका संबंधी रोग है| यह लाइलाज तो नहीं पर बहुत ही खतरनाक है| इसका संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा कि महामारी का रूप धारण कर चुका है| हर तरह की यात्रा सेवा रोक दी गई है| ये संपूर्ण लॉलडाउन २४ तारीख की रात्रि में बारह बजे से लागू किया गया है|
चाहता हूँ मैं ...तुषार रस्तोगी 'निर्जन'
अब ज़ाया लगती है हर मौसम की शादाबी
तुझे अपनी सांसो में बसाना चाहता हूँ मैं.
ये दिल धड़कता है मेरे दम से लेकिन
तेरे इश्क़ से दुनिया सजाना चाहता हूँ मैं.
माचिस की तीली ...रवीन्द्र सिंह यादव
नोंक पर
फॉस्फोरस लगीं तीलियाँ
चुपचाप रहती हैं लेटे-लेटे,
माचिस के भीतर
अपने भीतर
अप्रत्याशित आग समेटे।
उपभोक्ता
निकालता / निकालती है
हरसा देना तुम ...अनीता सैनी
जीवन रहस्य सागर गहरा,
संदेश पवन को लिख देना,
पर्वत पीड़ा मैं लिख दूँगी,
संताप हरण की कह देना,
सोये मानुष उठ जाएँगे,
मनुज धर्म दरसा देना तुम।
मेरे लॉक् डाउन का 17 वां दिन ....मुकेश इलाहाबादी
अब कुछ कदम
अंतर्यात्रा की और बढ़ाएं
पूजा की स्थान पे
या बुक सेल्फ में वर्षों से रखी
पुस्तकों को उल्टे पलटें
या अपने मन के पन्नो को पलटें तो अवश्य जानेंगे
की
संसार
का सार "वेदों" में
वेदों का सार "उपनिषदों " में
उपनिषदों का सार "ब्रह्म सूत्र " में
ब्रह्म सूत्र का सार "भगवत गीता " में है
और तब हम ये भी जानेंगे
सारा महाभारत हमारे ही अंदर है
...
आज बस
कल फिर
सादर
प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1950 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी समस्याओं पर विचार करना है। हमारी तो सदियों से धारणा रही है कि 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में हो माया' तथा 'जान है तो जहान है'।
सादर अभिवादन
सीधे चलें रचनाओं की ओर ....
एक दिया अखंड एकता के नाम ...ऋता शेखर "मधु"
पूरे विश्व के लिए अभी बहुत कठिन दौर है| हमारा देश कोरोना वायरस के चपेट में आकर लॉकडाउन में चल रहा है| कोरोना वायरस श्वसन तंत्रिका संबंधी रोग है| यह लाइलाज तो नहीं पर बहुत ही खतरनाक है| इसका संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा कि महामारी का रूप धारण कर चुका है| हर तरह की यात्रा सेवा रोक दी गई है| ये संपूर्ण लॉलडाउन २४ तारीख की रात्रि में बारह बजे से लागू किया गया है|
चाहता हूँ मैं ...तुषार रस्तोगी 'निर्जन'
अब ज़ाया लगती है हर मौसम की शादाबी
तुझे अपनी सांसो में बसाना चाहता हूँ मैं.
ये दिल धड़कता है मेरे दम से लेकिन
तेरे इश्क़ से दुनिया सजाना चाहता हूँ मैं.
माचिस की तीली ...रवीन्द्र सिंह यादव
नोंक पर
फॉस्फोरस लगीं तीलियाँ
चुपचाप रहती हैं लेटे-लेटे,
माचिस के भीतर
अपने भीतर
अप्रत्याशित आग समेटे।
उपभोक्ता
निकालता / निकालती है
हरसा देना तुम ...अनीता सैनी
जीवन रहस्य सागर गहरा,
संदेश पवन को लिख देना,
पर्वत पीड़ा मैं लिख दूँगी,
संताप हरण की कह देना,
सोये मानुष उठ जाएँगे,
मनुज धर्म दरसा देना तुम।
मेरे लॉक् डाउन का 17 वां दिन ....मुकेश इलाहाबादी
अब कुछ कदम
अंतर्यात्रा की और बढ़ाएं
पूजा की स्थान पे
या बुक सेल्फ में वर्षों से रखी
पुस्तकों को उल्टे पलटें
या अपने मन के पन्नो को पलटें तो अवश्य जानेंगे
की
संसार
का सार "वेदों" में
वेदों का सार "उपनिषदों " में
उपनिषदों का सार "ब्रह्म सूत्र " में
ब्रह्म सूत्र का सार "भगवत गीता " में है
और तब हम ये भी जानेंगे
सारा महाभारत हमारे ही अंदर है
...
आज बस
कल फिर
सादर
सादर आभार 'माचिस की तीली' को मुखरित मौन पर बेहतरीन रचनाओं के मध्य सम्मान देते हुए प्रदर्शित करने के लिये। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteसभी जन सुरक्षित व स्वस्थ रहें
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर प्रस्तुति में मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
ReplyDeleteसादर