वायदा किया था किसी से
कि आज हम
कुछ ऊल-जुलूल ही लिक्खेंगे
पर अफ़सोस हम
वादा फ़रामोश निकले
....
आज विश्व पृथ्वी दिवस है
कि आज हम
कुछ ऊल-जुलूल ही लिक्खेंगे
पर अफ़सोस हम
वादा फ़रामोश निकले
....
आज विश्व पृथ्वी दिवस है
भरपूर शुभकामनाएँ
आज हमारी पृथ्वी भी आनन्दित है
क्योंकि हम नज़रबंद हैं
गंदगी और कूड़ा नहीं है
पृथ्वी पर
अमन-चैन है
पशु-पक्षी निर्भय हैं
लिखने जाएँ तो रचना बन जाएगी..
पर अभी..
चलिए रचनाओँ की ओर...
आज हमारी पृथ्वी भी आनन्दित है
क्योंकि हम नज़रबंद हैं
गंदगी और कूड़ा नहीं है
पृथ्वी पर
अमन-चैन है
पशु-पक्षी निर्भय हैं
लिखने जाएँ तो रचना बन जाएगी..
पर अभी..
चलिए रचनाओँ की ओर...
सांगरी
ताप पाप से दहक-दहक
धिप-धिप धँस गयी धरती।
परत-परत बे पर्दा करके
सुजला सुफला भई परती।
मत रो माँ ! मरुस्थल में हम
अजर, अमर और जीवट।
जाल, खेजड़ी, रोहिड़ा
कैर, बैर और कुमट।
बुद्धिजीवी बन इतराते तुम
तो चलो लगाओ बुद्धि ज़रा
वो कौन सी बोली बोलें हम
जो प्रेम-सद्भाव की बात करे
न तेरे मेरे की जात गढ़े
भटकों को राह दिखाए वो
कड़ी बीच की बन जाए जो
ऐसी राह कहाँ से पाएँ हम
कोरोना से थम गई, दुनिया की रफ़्तार।
त्राहि-त्राहि जग कर रहा, नजरबंद संसार।।
मरहम रखने को गये, लौटे ले कर घाव।
परहित में जो हैं लगे, उन पर ही पथराव।
माँज रहा था समय,
दुःख भरे नयनों को,
स्वयं को न माँज पाई,
एक पल की पीड़ा थी वह,
कल्याण का अंकुर,
उगा था उरभूमि पर,
बिखेर तमन्नाओं का पुँज,
हृदय पर लगी ठेस,
प्रीत ने फैलाया प्रेम का,
दौंगरा था वह।
चाँद की व्यथा ....
ओ मानव!
आज देखा तुमने
मुझे ग़ौर से
मैं तो सदियों से
ऐसा ही हूँ
रोज़ आता हूँ ,
रोज़ जाता हूँ
ख़ुद ताप सहकर
सारे जग को
अपनी शीतलता
बिना भेदभाव
प्रदान करता हूँ
नज़रबंदी का दौर चालू आहे...डॉ. सुशील जोशी
समझ
लेता है
इशारा
समझने वाला
कौन
शायर है
कैसा
कलाम है
बचा
जमाना है
नासमझ है
जब
हो चुका
खुद ही
शौक से
नजरबन्द है ।
..
आज इतना ही
कल की कल देखेंगे
सादर
नज़रबंदी का दौर चालू आहे...डॉ. सुशील जोशी
समझ
लेता है
इशारा
समझने वाला
कौन
शायर है
कैसा
कलाम है
बचा
जमाना है
नासमझ है
जब
हो चुका
खुद ही
शौक से
नजरबन्द है ।
..
आज इतना ही
कल की कल देखेंगे
सादर
प्रकृति से कुछ छुपा नहीं होता है इंसानों की करतूतें, उसका मार्ग स्वयं ही हम लोग प्रशस्त कर देते हैं
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
बढ़िया..
ReplyDeleteनज़रबंदी का दौर जारी रहे..
आभार...
सादर..
बढ़िया प्रस्तुति।
ReplyDeleteसराहनीय प्रस्तुतीकरण
ReplyDeleteस्वस्थ्य रहें दीर्घायु हों
बहुत सुंदर प्रस्तुति। आभार।
ReplyDeleteकोई बात नहीं ऊल जलूल लिखे का लिखा तो ला कर रख दिया बात अलग है शुरु करने की बात थी :) आभार।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति 👌👌
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteQabar Par Mitti Dene Ki Dua In Hindi Qabar Par Mitti Dene Ki Dua क़ब्र पर मिटटी देनी की दुआ हिंदी
ReplyDeleteqabar-par-mitti-dene-ki-dua-in-hindi