सादर अभिवादन
आज सोमवार से कतिपय
वस्तुओं की दुकाने को खोलने की
आज सोमवार से कतिपय
वस्तुओं की दुकाने को खोलने की
अनुमति दी गई है
अखबारों ने कहा है कि
छः राज्यों को 14 शहरों में ही
देश के 68 प्रतिशत मरीज हैं
राम करे वे भी शीघ्र स्वस्थ हों
....
गोस्वामी तुलसीदास ने भी
रामचरितमानस के उत्तर काण्ड में
अखबारों ने कहा है कि
छः राज्यों को 14 शहरों में ही
देश के 68 प्रतिशत मरीज हैं
राम करे वे भी शीघ्र स्वस्थ हों
....
गोस्वामी तुलसीदास ने भी
रामचरितमानस के उत्तर काण्ड में
कोरोना का जिक्र किया है
इस प्रकरण के अंत में लिखेंगे
....
फिलहाल रचनाएं देखें....
इस प्रकरण के अंत में लिखेंगे
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फिलहाल रचनाएं देखें....
एक पत्ती मिली
उसके हरे में थोड़ा कत्थई घुलने लगा था
डाल मजबूती से पकड़ी हुई थी उसने
वो पत्ती मेरी उम्र की होगी शायद
कभी के दिन तो कभी रात बड़ी होती है
विपत्ति मनुष्य के साहस को परखती है
काम बिगड़ते देर नहीं बनते देर लगती है
मृत्यु सब गलतियों पर नकाब डाल देती है
बहुत बड़ी दावत भी थोड़ी देर की होती है
मौत तारीख देखकर नहीं आती है
सब कुछ याद रखिये और तब तक याद रखिये जब तक अब सब कुछ आर पार न हो जाए। नहीं तो हमारी आने वाली नस्लें उनके सामने भविष्य में आ रही नई मुश्किलों के अतिरिक्त विरासत में मिली इन मुश्किलों को भी निर्णायक रूप से ख़त्म न कर पाने के लिए हमें कटघरे में जरूर खड़ा करेंगी।
टूटा होगा तृण-तृण में वो
जैसे मेरा दिल है टूटा....
रोया होगा उस पल वो भी
जान तिरा वो प्रेम था झूटा
दिल पे पड़ी गाँठों को ऐसे
कब किसने सुलझाया होगा...
फूल गुलाब तुम्हें भेजा जो
जाने कहाँ मुरझाया होगा....
....
अब ऊपर लिखे अधूरे प्रकरण पर
अब ऊपर लिखे अधूरे प्रकरण पर
गोस्वामी तुलसीदास जी इस महामारी के मूल स्रोत
चमगादड के विषय में उत्तरकाण्ड दोहा 120 (14) में
वर्षो पहले की बता गये थे जिससे सभी लोग आज दुखी है :
"सब कै निंदा जे जड़ करहीं।
ते चमगादुर होइ अवतरहीं॥
सुनहु तात अब मानस रोगा।
जिन्ह ते दु:ख पावहिं सब लोगा॥14॥"
आप रामचरितमानस का अवलोकन करे
सत्यता को परखें ..आगे की चौपाइयों में
निदान भी लिक्खा है
अब एक ग़जल सुनिए
रंज और दर्द कि बस्ती का मैं बाशिंदा हूँ
यह तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी जिंदा हूँ
ख्वाब क्यों देखूं वोह कल जिसपे मैं शर्मिंदा हूँ
मैं जो शर्मिंदा हुआ तुम भी तो शर्माओगी
अब बस
सादर
सादर
बहुत अच्छी प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!
ReplyDeleteभावार्थ
ReplyDeleteजो मूर्ख मनुष्य सब की निंदा करते हैं, वे चमगादड़ होकर जन्म लेते हैं। हे तात! अब मानस रोग सुनिए, जिनसे सब लोग दुःख पाया करते हैं॥14॥
मनमोहक प्रस्तुति की रंगीनियों के साथ गज़ल की ख़ुश्बू ... अहा !!!
ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी जिंदा हूँ ...
सुन्दर गजल एवं उम्दा पठनीय लिंक्स के साथ शानदार प्रस्तुति...।
ReplyDeleteमेरी रचना सम्मिलित करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआदरणीय दीदी, लगता है आज तो सबको ग़ज़ल के सुहाने दौर में पहुंचाकर ही दम लेंगी।😊😊 आपकी कोशिशों को सलाम है । सुंदर प्रस्तुति🙏🙏💐💐🌷🌷🌷💐💐
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सुन्दर रचनाओं के साथ उत्तम प्रस्तुति l
ReplyDeleteपोस्ट को मान व स्थान देने के लिए आपका आभार और शुक्रिया
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