सादर नमस्कार
नवरात्र के छठे दिन
माता श्री कात्यायनी देवी
की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है.
कात्यायनी देवी दुर्गा जी का छठा अवतार हैं.
शास्त्रों के अनुसार देवी ने
कात्यायन ऋषि के घर
उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया..
अब आज की रचनाओ पर एक नज़र...
हे मेरे ईश्वर .....पुरुषोत्तम सिन्हा
आशा हमें, है विश्वास तुम पर,
कि तुझको है खबर, तू ही रखता नजर,
समग्र, सृष्टि पर,
हे मेरे ईश्वर!
तूने ही बनाए, सितारे ये सागर,
छलका है तुझसे, मेरे मन का ये गागर,
अंधेरे बड़े हैं, तू कर दे उजागर,
अपनी, कृपा कर,
हे मेरे ईश्वर!
इंसानियत की बात है आगे को आइये,
जन हित के लिए हाथ मदद को बढ़ाइए !
जो दूर हैं घर गाँव से अपनों से दूर हैं,
मुश्किल घड़ी में उनका मनोबल बढ़ाइए !
है देश पे संकट बड़ा विपदा की है घड़ी,
मिलजुल के हराने के लिए साथ आइये !
सुनो......
याद है न तुम्हें
वो दरख़्त पलाश का
वो हमारी पहली
मुलाकात का गवाह.....
जब मैं... आप
हम
हो गए थे
हमारा प्यार
पलाश के फूलों
की तरह खिलने
लगा था......
आख़िर में हम मिल गए, अच्छा हुआ,
बाकी सब हम भूल गए, अच्छा हुआ ।
मैं मुझ में नहीं हूं, तुम ख़ुद में नहीं हो,
दूजे की रूह में घुल गए, अच्छा हुआ ।
मुरझाई हुई सी थी ज़िंदगियां अपनी,
दिल से दिल तक खिल गए, अच्छा हुआ।
आज द्रोपदी खंड बनी सी,
खड़ी सभा के बीच निशब्दा।
नयन सभी के झुके झुके थे,
डरे डरे थे सोच आपदा।
लाल आँख निर्लज्ज दुशासन
भीग स्वेद से खौल रहा था
मूक अधर शरीर कंपित पर
भेद विदित का डोल रहा था।
...
बस
कल
फिर
बस
कल
फिर
बेहतरीन अंक..
ReplyDeleteसादर..
सुन्दर संकलन सार्थक सूत्र ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteसुन्दर संकलन
ReplyDeleteसुंदर संकलन
ReplyDeleteशुक्रिया दी आपने मेरी रचना को स्थान दिया