सादर अभिवादन
नजदीक है होली
घूम रहा है
कोरोना वायरस
सदा की भांति
हर किसी से
नजदीक है होली
घूम रहा है
कोरोना वायरस
सदा की भांति
हर किसी से
गले मत मिलिए
हाथ भी मत मिलाइए
चीनी सामान मत खरीदिए
बहुत हो गई बकबक..
हाथ भी मत मिलाइए
चीनी सामान मत खरीदिए
बहुत हो गई बकबक..
अब चलिए आगे बढ़ें..
बरसों ढ़ले, सांझ तले, तुम कौन मिले!
फिर पनपा, इक आस,
फिर जागे, सुसुप्त वही एहसास,
फिर जगने, नैनों में रैन चले!
गीली मिट्टी के ढेरी ,चल घर बनाते हैं ।
ये तेरी है वो मेरी ,कुछ फूल उगाते हैं ।।
आंगन का हिस्सा मेरा ,वो बगिया वाला तेरा ।
आंगन में नीम लगेगा ,डाली पर झूला होगा ।।
जवाँ शोहरत , जवाँ किस्से
जवानी संगमरमरी ना रख,
राश*करें तूफानों से वर्जिश
दिवानों सा हुनर तू रख
आतश से जुनूं लेकर
हवा को कैद करके चल
जब दिल की मुंडेर पर ,
अस्त होता सूरज आ बैठता है।
श्वासों में कुछ मचलता है
कुछ यादें छा जाती
सुरमई सांझ बन ,
होली के रंग
फीके नहीं लगते
प्रिया के संग
रंग रसिया
तुमसे मैं हारी
श्याम बिहारी
चेहरे चेहरे को
नहीं देख पा रहे हैं
चेहरे पकड़े
नहीं जा रहे हैं
चेहरे चेहरे
को भुना रहे हैं
चेहरे दर चेहरे
कुछ लाल होते हैं
कुछ होते हैं हरे
कुछ बदलते हैं
मौसम के साथ
बारिश में
होते हैं गीले
धूप में हो
जाते हैं पीले।
...
अब बस
फिर आएँगे
सादर
अब बस
फिर आएँगे
सादर
शुभ संध्या। मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभारी हूँ आदरणीया दी ।
ReplyDeleteआभार यशोदा जी।
ReplyDeleteशुभ संध्या ।बहुत सुंदर दी!
ReplyDeleteमेरी रचना को मुखरित मौन में साझा करने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।
ReplyDeleteसुप्रभात
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद यशोदा जी |
बहुत सुंदर लिंक चयन।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई
सुंदर सृजन।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।