हमारे हिस्से में
ये प्रस्तुति आई है
ये प्रस्तुति आई है
आज विश्व गौरैया दिवस है
और गौरैया भी स्वछंद उड़ भी रही है
उसे कोरोना का भय नहीं है
.....
.....
परन्तु कल से हमारे ऑफिस वाले रास्ते में
धारा 144 लगा हुआ है
सारी दुकानें और ऑफिस बन्द है
सड़क में इक्का-दुक्का ही चलता-फिरता
दिखाई पड़ रहा है
......
विश्व गौरैया दिवस
दुनियाभर में गौरैया पक्षी की संख्या में बेहद तेजी से कमी आ रही है. इसी के चलते पूरी दुनिया में 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. इस दिन को दुनिया भर में इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. जानकारी के अनुसार दुनिया भर में इस पक्षी की संख्या लगातार घटती जा रही है, जिसको देखते हुए साल 2010 में इस दिन की शुरुआत की गई. एक समय था जब हमारे घरों में इस पक्षी के घोसले नजर आते थे और इनकी मीठी आवाज से ही हमारी सुबह होती थी.
....
चलिए चलते हैं रचनाओँ की ओर
डर ....ओंकार जी
चाँद निकल आया है
आसमान में, लेकिन
उसमें धब्बे बहुत हैं.
मुझे आश्चर्य होता है
कि कैसे बदल देता है दुनिया
एक आधारहीन डर.
आओ लड़े "कोरोना" से ...अर्चना चावजी
मैं मोदी नहीं ,न ही प्रधानमंत्री....
पर हूँ आपकी साथी,
अपने बच्चों की माँ
नाती,पोती की नानी-दादी
किसी की बहन
किसी की बेटी
नहीं चाहती उम्र और जीवन के
इस दौर में अकेली पड़ी रहूं
मैं आऊँगा कल ...कविता रावत
यही तो रास्ता है मेरे रोज गुजरने का
एक बार, दो बार, रोज ......
एक दिन अचानक नजरे मिली थी तुमसे वहाँ
तुम वहीं कहीं खड़ी थी
सूरत तुम्हारी आज भी याद है
आज विश्व गौरैया दिवस पर ...ई. गणेश बागी
अब तो शहर में छोटा सा घर
न वो घना पीपल का पेड़
और ना ही दादा-दादी
ससुराल चली गयीं बेटियाँ
नहीं आता वो गौरैयों का झुण्ड
आज माँ ने फिर से बिखेर दिया है
बालकोनी में
कच्चे चावल के कुछ दाने
और रख दिया है पानी भरा पात्र
...
आज इतना ही
कल की कल देखेंगे
सादर
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चलिए चलते हैं रचनाओँ की ओर
डर ....ओंकार जी
चाँद निकल आया है
आसमान में, लेकिन
उसमें धब्बे बहुत हैं.
मुझे आश्चर्य होता है
कि कैसे बदल देता है दुनिया
एक आधारहीन डर.
आओ लड़े "कोरोना" से ...अर्चना चावजी
मैं मोदी नहीं ,न ही प्रधानमंत्री....
पर हूँ आपकी साथी,
अपने बच्चों की माँ
नाती,पोती की नानी-दादी
किसी की बहन
किसी की बेटी
नहीं चाहती उम्र और जीवन के
इस दौर में अकेली पड़ी रहूं
मैं आऊँगा कल ...कविता रावत
यही तो रास्ता है मेरे रोज गुजरने का
एक बार, दो बार, रोज ......
एक दिन अचानक नजरे मिली थी तुमसे वहाँ
तुम वहीं कहीं खड़ी थी
सूरत तुम्हारी आज भी याद है
आज विश्व गौरैया दिवस पर ...ई. गणेश बागी
अब तो शहर में छोटा सा घर
न वो घना पीपल का पेड़
और ना ही दादा-दादी
ससुराल चली गयीं बेटियाँ
नहीं आता वो गौरैयों का झुण्ड
आज माँ ने फिर से बिखेर दिया है
बालकोनी में
कच्चे चावल के कुछ दाने
और रख दिया है पानी भरा पात्र
...
आज इतना ही
कल की कल देखेंगे
सादर
बहुत अच्छी सांध्य दैनिक मुखरित मौन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteवाह!सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteसुन्दर संकलन.मेरी कविता शामिल की.आभार.
ReplyDeleteसुन्दर संकलन
ReplyDeleteविश्व गौरया दिवस पर शानदार प्रस्तुति ...
ReplyDeleteउम्दा पठनीय लिंक्स...।
विश्व गौरैया दिवस पर।
ReplyDeleteशानदार अंक
सभी रचनाकारों को बधाई।