सादर अभिवादन
जब तक हमारा क्षेत्र सुरक्षित नहीं होता
आप हमें ही देखेंगे.. और देवी जी अपने आप में
कोई भी मैसेज की गंभीरता को
समझे बगैर तुरत फॉरवर्ड कर देते है
कोरोना (कोविद19) की सत्यता को जानें
और इटली,अमेरिका और ब्रिटेन से सबक लें
इस विषय पर गूगल भी गम्भीर है..देखिए
देवी जी व्यस्त हैं.. वे चेन्नई अस्पताल के सतत्
सम्पर्क में है.. वीडियो काल के जरिए....
ज़रूरी भी है सावधानियां...
ज़रूरी भी है सावधानियां...
......
भारतवर्ष में कतिपय लोग वाकई नासमझ हैंकोई भी मैसेज की गंभीरता को
समझे बगैर तुरत फॉरवर्ड कर देते है
कोरोना (कोविद19) की सत्यता को जानें
और इटली,अमेरिका और ब्रिटेन से सबक लें
इस विषय पर गूगल भी गम्भीर है..देखिए
चलिए रचनाएं देखें....
विनम्र अनुरोध ...निवेदिता श्रीवास्तव
विनम्र अनुरोध भक्त ,कमभक्त और कमबख्त नीयत वालों से ...
कल 22 मार्च 2020,रविवार को आप ये देखने भी न निकले कि कितने लोग निकले कितने नही । जो दिनचर्या अभी तक के रविवार(अवकाश के दिनों में ) को अपनाते थे और अपने में ही मस्त रहते थे ,घर पर रहते थे ... बस वही कल भी कीजियेगा ।
बिन तुम्हारे ...पुरुषोत्तम सिन्हा
सो गए, अरमान सारे,
दिन-रात हारे,
बिन तुम्हारे!
अधूरी , मन की बातें,
किसको सुनाते,
कह गए, खुद आप से ही,
बिन तुम्हारे!
बीमार सा लगता है मेरा शहर....शुभा मेहता
आज बीमार सा लगता है
मेरा ये शहर
कभी गुलजा़र हुआ करता था
हर तरफ हुआ करती थी
आपदा भी एक अवसर ..मुदिता
चेताया है कुदरत ने
अनगिनत बार
अहंकारी मानव को ,
किन्तु अपने गुरुर में डूबा वो
करता रहा निरंतर दोहन
प्राकृतिक संपदाओं का
नहीं सीखा उसने करना सम्मान
मातृस्वरूपा धरा का
आखिरी साँस ...कामिना सिन्हा
" मैं तुम्हारे साथ जीवन जी नहीं पाऊँगी तो क्या हुआ...
मेरा वादा हैं तुमसे मरूँगी तुम्हारी ही बाँहों में .....
आखिरी वक़्त में ..
जब मैं तुम्हे आवाज़ दूँगी तो तुम आओगे न "
कहते हुए मेरे होठ थरथरा रहे थे.....
आवाज़ लड़खड़ा रही थी ....
" हाँ " में सर हिलाते हुए उसने कहा था....
तुम्हारी उस आखिरी आवाज़ का
मैं आखिरी साँस तक इंतज़ार करूँगा.....
...
आज बस
कल की कल देखेंगे
सादर
विनम्र अनुरोध ...निवेदिता श्रीवास्तव
विनम्र अनुरोध भक्त ,कमभक्त और कमबख्त नीयत वालों से ...
कल 22 मार्च 2020,रविवार को आप ये देखने भी न निकले कि कितने लोग निकले कितने नही । जो दिनचर्या अभी तक के रविवार(अवकाश के दिनों में ) को अपनाते थे और अपने में ही मस्त रहते थे ,घर पर रहते थे ... बस वही कल भी कीजियेगा ।
बिन तुम्हारे ...पुरुषोत्तम सिन्हा
सो गए, अरमान सारे,
दिन-रात हारे,
बिन तुम्हारे!
अधूरी , मन की बातें,
किसको सुनाते,
कह गए, खुद आप से ही,
बिन तुम्हारे!
बीमार सा लगता है मेरा शहर....शुभा मेहता
आज बीमार सा लगता है
मेरा ये शहर
कभी गुलजा़र हुआ करता था
हर तरफ हुआ करती थी
आपदा भी एक अवसर ..मुदिता
चेताया है कुदरत ने
अनगिनत बार
अहंकारी मानव को ,
किन्तु अपने गुरुर में डूबा वो
करता रहा निरंतर दोहन
प्राकृतिक संपदाओं का
नहीं सीखा उसने करना सम्मान
मातृस्वरूपा धरा का
आखिरी साँस ...कामिना सिन्हा
" मैं तुम्हारे साथ जीवन जी नहीं पाऊँगी तो क्या हुआ...
मेरा वादा हैं तुमसे मरूँगी तुम्हारी ही बाँहों में .....
आखिरी वक़्त में ..
जब मैं तुम्हे आवाज़ दूँगी तो तुम आओगे न "
कहते हुए मेरे होठ थरथरा रहे थे.....
आवाज़ लड़खड़ा रही थी ....
" हाँ " में सर हिलाते हुए उसने कहा था....
तुम्हारी उस आखिरी आवाज़ का
मैं आखिरी साँस तक इंतज़ार करूँगा.....
...
आज बस
कल की कल देखेंगे
सादर
शुक्रिया मेरी रचना को स्थान देने के लिए .....कोरोना से लड़ाई मरीन हम सब विजयी हों इसके लिए शुभकामनाएं ��������
ReplyDeleteजरुरी संदेश के साथ बेहतरीन प्रस्तुति सर ,मेरी रचना को स्थान देने के लिए दिल से आभार आपका ,सादर नमन
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अंक शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।