स्नेहिल अभिवादनमाह मार्च का तेरहवां दिन
कोरोना ने रुला दिया
शेयर बाजार औंधेमुंह गिर पड़े
मौका है शेयर पकड़ने का
मंदड़िए सक्रिय हो गए
रुपया 74 का हो गया
यदि किसी के पास
10 डालर हो ते उसे
700 के बजाए 740 मिलेंगे
हर व्यक्ति का गणित अलग
बहरहाल चलते हैं रचनाओं की ओर
शेयर बाजार औंधेमुंह गिर पड़े
मौका है शेयर पकड़ने का
मंदड़िए सक्रिय हो गए
रुपया 74 का हो गया
यदि किसी के पास
10 डालर हो ते उसे
700 के बजाए 740 मिलेंगे
हर व्यक्ति का गणित अलग
बहरहाल चलते हैं रचनाओं की ओर
कोरोना का रोना
अमिताभ जी बच्चन भी अब
अमिताभ जी बच्चन भी अब
कविता लाईन में उतर गए
सुनिए उनकी रचना उनकी ही जबानी
सुनिए उनकी रचना उनकी ही जबानी
आँखें समन्दर हो गयीं
दिल छुप गया जाने कहाँ
वो दरअसल मेरी ज़ीस्त
मेरी दास्ताँ ही बदल गया ..
एक प्रेम गीत ...जयकृष्णराय तुषार
आरती के
दिये जैसी एक
जोगन सांध्य बेला ,
खिलखिलाते
फूल के वन
और इक भौरा अकेला ,
मौन सी
हर बाँसुरी पर
लिख गया अनुनाद कोई |
एक प्रेम गीत ...जयकृष्णराय तुषार
आरती के
दिये जैसी एक
जोगन सांध्य बेला ,
खिलखिलाते
फूल के वन
और इक भौरा अकेला ,
मौन सी
हर बाँसुरी पर
लिख गया अनुनाद कोई |
मायूस मत होओ, रेलगाड़ी,
बस चलती रहो,जब तक हो,
लोगों को पुकारती,
सबका स्वागत करती,
परिवर्तन ही दुनिया का नियम है.
अंधकार ने फेंका पासा
जैसे आभा पर परदा है
अंतर में थी घोर निराशा
हृदय आलोक भी मंदा है
ऐसे मेघ घिरे थे काले
खंडित वृक्ष की डाली है।
तंद्रा जाल घिरा था मन पर
लगा नींद आने वाली है।।
अंदाजे गाफ़िल ....चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
उसका हो क्या के उनके बिन महरूम
आजतक हम जो दस्तो पा से रहे
अंदाजे गाफ़िल ....चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
उसका हो क्या के उनके बिन महरूम
आजतक हम जो दस्तो पा से रहे
सुंदर लिंक्स.मेरी कविता शामिल की.आभार
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार आदरणीया यशोदा जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमेरी रचना को मुखरित मौन में शामिल करने केलिए हृदय तल से आभार।
सभी रचनाकारों को बधाई।
सादर।
सुन्दर संयोजन.. आभार
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