स्नेहिल अभिवादन
माह का दूसरा दिवस
सच में प्यारा है
रंगों का दुलारा है
...
आज दिन 11 बजे तक प्रकाशित ब्लॉगों की रचनाएँ..
माह का दूसरा दिवस
सच में प्यारा है
रंगों का दुलारा है
...
आज दिन 11 बजे तक प्रकाशित ब्लॉगों की रचनाएँ..
पहली बार श्री मानव मेहता
सहरा कभी जंगल होये तो होये कैसे
दिल-ए-बंजर पर मोहब्बत का फूल बोये कैसे…
चले आओ कि अब तो शाम ढलने लगी
बिन तेरे हम रातों को सोये कैसे...
खून-खून, है ये फागुन,
धुआँ-धुआँ, उम्मीदें,
बिखरे, अरमानों के चिथरे,
चोट लगे हैं गहरे,
हर शै, इक बू है साजिश की,
हर बस्ती, है मरघट!
साथ ही समाचार पत्रों में आगे यह भी लिखा हुआ था कि सेठजी का नागरिक अभिनंदन ' भ्रष्टाचार मिटाओ ' संस्था के बैनर तले किया जाएगा.. जिस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वयं नये साहब ही होंगे..और दोखीराम जी नये साल में अपनी फैक्ट्री की ओर से किये जाने वाले धर्मार्थ कार्यों जैसे निर्धन कन्याओं का विवाह , गरीब मेधावी छात्रों को आर्थिक मदद और मुहल्ले में स्थित मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मोटी रक़म देने की घोषणा इसी मंच से करेंगे..।
झूमता गेंदा
जीवन उपवन
यादें है महकी...
..........
प्यार तुम्हारा
बाबुल तुम बिन
कैसे पाऊँ।
आज अब बस
कल फिर
सादर
कल फिर
सादर
फरवरी माह का दूसरा दिन और सप्ताह भर बाद होली का पर्व,
ReplyDeleteपर कैसा पर्व जब इंसान एक दूसरे के रक्त से होली खेल रहा हो
और प्रबुद्ध लोग विभिन्न चैनलों के मनोरंजन कक्ष में बैठकर डिबेट के नाम पर मछली बाजार सजाए हो
पता नहीं ऐसे लोगों में से कितनों ने दंगा स्वयं झेला होगा
यहाँ तो अपने बचपन के वे दिन याद आ जाते हैं जब वाराणसी में दंगा होने पर हमारे अभिभावक हम लोगों को पलंग के नीचे छुपा कर स्वयं दरवाजे पर रात भर खड़े रहते थे
और दिन में मैं किसी तरह से गली-गली घूम कर खाने का सामान जुटाया करता था, जब भी अवसर मिलता था,
पुलिस वाले अंकल जी कह खाली झोली दिखला दिया करता था..।
मेरी रचना को पटल पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ यशोदा ।
फरवरी के स्थान पर मार्च पढ़ा जाए
ReplyDeleteसुंदर संग्रह ....धन्यवाद यशोदा जी आपको पूरी टीम के सदस्यों के साथ
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचनाएँ। अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteसंध्या नमन। मन की पाखी पर इस बेहतरीन प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई ।
ReplyDeleteसभी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं... मेरी रचना को भी शामिल करने के लिए आभार...
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