Friday, September 20, 2019

120..पन्ना खोल दिया चार लाईनां लिख दी जनाब गायब..

आज कितनी तारीख है..
याद नहीं पर ये ज़रूर याद है..
शुक्रवार है आज....
दिन महीनें साल गुज़रते जाएंगे..पर
परसों देवी जी उलाहना देने के मूड में थी..
चलिए आज उन्हें आराम देते हैं..
नज़र डालिए आज की रचनाओं की ओर....

कृष्णा सोबती : लेखन और नारीवाद : रेखा सेठी

कृष्णा सोबती के रचनाशील व्यक्तित्व में अवज्ञा का स्वर प्रमुख है. ज़िंदगी में गहरे पैठ, समाज की परंपरागत जकड़बंदियों को अस्वीकार करते हुए, जीवन के भिन्न पक्ष से साक्षात्कार करने की बेचैनी, उनकी कृतियों का केंद्र है. ‘डार से बिछुड़ी’, ‘मित्रो मरजानी’, ‘सूरजमुखी अँधेरे के’, ‘ऐ लड़की’, ‘दिलो दानिश’ आदि सभी रचनाओं में कुछ यादगार स्त्री छवियाँ उभरती हैं जिनमें परंपरागत मान्यताओं के प्रति अस्वीकार का बोध सामाजिक संरचनाओं के निषेध मात्र की अभिव्यक्ति नहीं बल्कि सामाजिक स्थितियों को पलटकर देखने और उनके भीतर के सत्य को उद्घाटित करने की कोशिश है. 


गलत व्यक्ति को पसंद करने वाला 
सही व्यक्ति नहीं हो सकता।

गलत इंसान ही दूसरे गलत इंसान का साथ देता है। परंतु एक 
सही इंसान कभी दूसरे सही इंसान का साथ नही देता,वह चुपचाप 
रहता है और गलत लोग जीत जाते हैं।आजकल सत्य और 
महता विलुप्त हो गयी लगती है
एक बात हमेशा याद रखना अंत में सत्य व्यक्ति की ही जीत होती है क्योंकि ऊपर वाला सब देख रहा होता है 


अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ ...जॉन एलिया

नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी 
तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम 

ये बस्ती है मुसलामानों की बस्ती 
यहाँ कार-ए-मसीहा क्यूँ करें हम 


उल्फत के गुलाब ...वन्दना गुप्ता

धुआँ घुटन का किस फूँक से उड़ायें 
धंसे बेबसी के काँच अब किसे दिखायें 
न हो सकी उन्हीं से मुलाकात औ गुजर गयी ज़िन्दगी 
अब किस पनघट पे जाके प्यास अपनी बुझायें 

जीवन में संचित किया है गरल ....
जीवन-पथ कब हुआ है सरल,
हर मोड़ पर पीना पड़ता है गरल।
छल-छंदों से भरी इस दुनिया में,
धोखा मिलता रहता हर पल।

सुख के दिन कब रहते हैं अटल,
दुख में भला कौन रहा अविचल।
घिर कर आते हैं संकट के बादल,
उलझे जीवन जिसमें पल-पल।
....
पन्ना खोल दिया
चार लाईनां लिख दी
जनाब गायब..गनीमत
तीन लिंक रख दिए थे
राम बचाए इनसे
सादर...








12 comments:

  1. वाहः
    भूमिका संग सारे लिंक्स उम्दा

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  2. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏

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  3. भाई साहब...
    रिश्ते की मिठास तो ऐसे ही उलाहने में छिपी है ।
    " हाँ जी" और " ना जी" के मध्य यदि संतुलन स्थापित कर लिया जाए , तो श्रीमान और श्रीमती दोनों का अहम कभी न टकराए और वह घर स्वर्ग से सुंदर बन जाए, निश्चित..।
    सुंदर , सार्थक और सहज भावभरी प्रस्तुति, सादर....

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  4. खट्टे मीठे उल्हाने के साथ प्रस्तुति और निखरी निखरी भाई साहब।👏

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
    सादर

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  6. वाह आदरणीय सर बहुत सुंदर प्रस्तुति
    सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक
    सभी को खूब बधाई
    सादर नमन

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति।बेहतरीन रचनाओं का संगम।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  8. उम्दा सृजन मेरी आप सभी मित्रों के शब्दों को सहारा बनने का मुझे गर्व है।

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  9. बेहतरीन और लाजवाब संकलन ।

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  10. बहुत ही शानदार आज की पोस्ट बहुत-बहुत आभार आपका ही शानदार पोस्ट के लिए साथी बहुत-बहुत धन्यवाद मेरी पोस्ट को यहां स्थान देने के लिए आज का आगरा जीवन को चार्ज करने वाला ब्लॉग

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