सादर अभिवादन
सिलसिला अनवरत हुआ नही है
विविधता नही आ पाई है इस ब्लॉग में
लगातार हम ही हम ही आ रहे हैं
आज की प्रकाशित रचनाओं से कुछ पसंदीदा रचनाएँ...
जश्न ए दोस्ती की कविताएँ....
रास्ते पे चलती वह लड़की
चुपचाप हर नज़र को सहती
सर झुकाए, चुनर संभाले
ख़ुद अपने आप में सिमटती
डरी डरी वह मासूम
फिर भी लोगों को खटकती
खुश ना रह पाओ तो यूँ करना ....
खुश ना रह पाओ तो यूँ करना
खुश रंगों से चेहरा लेपा करना
दुर्दशा ?...
जीवन की अवधि
और दुर्दशा
चीटी की भांति
होती जा रही है ,
कब मसल जाये
कब कुचल जाये
बीच कतार से
मत करना आह्वान कृष्ण का ...
जीवन संग्राम में
किसी भी महासमर के लिये
अब किसी भी कृष्ण का
आह्वान मत करना तुम सखी !
किसी भी कृष्ण की प्रतीक्षा
मत करना !
उलूक टाईम्स की ताजा कतरन
किसलिये
डरता है
उसके
आईना
दिखाने से
चेहरा
छुपा के
रखता है
वो
अपना
जमाने से
....
आज का कोटा पूरा
कल मीना जी आएँगी
सादर
यशोदा
सिलसिला अनवरत हुआ नही है
विविधता नही आ पाई है इस ब्लॉग में
लगातार हम ही हम ही आ रहे हैं
आज की प्रकाशित रचनाओं से कुछ पसंदीदा रचनाएँ...
जश्न ए दोस्ती की कविताएँ....
रास्ते पे चलती वह लड़की
चुपचाप हर नज़र को सहती
सर झुकाए, चुनर संभाले
ख़ुद अपने आप में सिमटती
डरी डरी वह मासूम
फिर भी लोगों को खटकती
खुश ना रह पाओ तो यूँ करना ....
खुश ना रह पाओ तो यूँ करना
खुश रंगों से चेहरा लेपा करना
दुर्दशा ?...
जीवन की अवधि
और दुर्दशा
चीटी की भांति
होती जा रही है ,
कब मसल जाये
कब कुचल जाये
बीच कतार से
मत करना आह्वान कृष्ण का ...
जीवन संग्राम में
किसी भी महासमर के लिये
अब किसी भी कृष्ण का
आह्वान मत करना तुम सखी !
किसी भी कृष्ण की प्रतीक्षा
मत करना !
उलूक टाईम्स की ताजा कतरन
किसलिये
डरता है
उसके
आईना
दिखाने से
चेहरा
छुपा के
रखता है
वो
अपना
जमाने से
....
आज का कोटा पूरा
कल मीना जी आएँगी
सादर
यशोदा
व्वाहहहह...
ReplyDeleteबेहतरीन...
सादर...
जीवन की अवधि
ReplyDeleteऔर दुर्दशा
चीटी की भांति
होती जा रही है ,
कब मसल जाये
कब कुचल जाये
काश ! इंसान इसे समझ जाए..
सादर प्रणाम।
बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteवाह ! अति सुन्दर ! बहुत ही सुन्दर सृजन !
ReplyDeleteआज के संकलन में मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वंदे !
ReplyDeleteवाह !बेहतरीन।
ReplyDeleteयशोदा जी
ReplyDeletebahut hi achhe links jodhe hin aapne...kaafi prabhaawshaali
बहुत ही सुन्दर सृजन
आज के संकलन में मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार
किसी भी कृष्ण की प्रतीक्षा
मत करना !
जीवन की अवधि
और दुर्दशा
चीटी की भांति
होती जा रही है ,
कब मसल जाये
कब कुचल जाये
ye links bahut psnd aaye
hmeshaa yuhin saath bnaaye rkhen
aabhar
बहुत ही बढ़िया है ,एक से बढ़कर एक रचनाओं का संगम, सभी को बधाई हो ,मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद ,नमन
ReplyDeleteबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर संकलन, यशोदा दी।
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