सादर अभिवादन..
आज तीज है...
हमें उपवास रखना मना है
इसी का फायदा हमें आज मिला
सभी को तीज पर्व की शुभकामनाएँ
आज तीज है...
हमें उपवास रखना मना है
इसी का फायदा हमें आज मिला
सभी को तीज पर्व की शुभकामनाएँ
अब आज की रचनाओँ की ओर चलें....
मीठे अहसास
ऊषा किरण
खिलती कलियाँ
वर्षा की बूंदें
उगता सा जीवन
अभिनन्दन करना
सीखो ना ....
अनायास कहा मैंने -
" ज़िल्दसाज़ चचाजान !
काश ! दे पाती सबक़
आपकी ये छोटी-सी दुकान
उन दंगाईयों की भीड़ को
जो बाँट कर इंसान
बनाते हैं ... हिन्दू और मुसलमान
अपने जीवन का रस देकर जिसको यत्नों से पाला है
क्या वह केवल अवसाद-मलिन झरते आँसू की माला है?
वे रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव-रस का कटु प्याला है
वे मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन कारी हाला है
हे कालसुता हे मुक्ति माता
हे परम सुंदरी हे सत रुपा
अमर अटल अजया हो तुम
तुम परम शांति धवल जया हो
है अंत नहीं पर्याय तुम्हारा
तुम नव अध्याय की द्योतक हो
हे दीपशिखा की सूत्रधार
मृत्यु तुम स्वयं अप्सरा हो
सभी लिखते हैं
आज कुछ ना कुछ
बहुत बड़ी बात है
कलम और कागज ही नहीं रहे बस
बाकी सब इफरात है
कोई नहीं लिखता है कहीं
किसी भी अन्दर की बात को
बच्चे दो ही अच्छे
रचनाएँ पाँच ही श्रेष्ठ
आज्ञा..
सादर
रचनाएँ पाँच ही श्रेष्ठ
आज्ञा..
सादर
ReplyDeleteहे कालसुता हे मुक्ति माता
हे परम सुंदरी हे सत रुपा
अमर अटल अजया हो तुम
तुम परम शांति धवल जया हो
आज ब्लॉग पर यह अत्यंत उच्चकोटि के चिंतन को दर्शाती रचना पढ़ने को मिली।
मन जब भी अशांत रहता है ,शव आसन करता हूँ। अनुभूति के माध्यम से मृत्यु की देवी का साक्षात्कार होते ही अपनों और गैरों से मिली वेदना और तिरस्कार से कुछ क्षण निश्चित ही मुक्ति मिल जाती है।
परंतु , यह भी सच है कि मृत्यु के समय हम इस आनंद की अनुभूति नहीं कर पाते हैं। इस देवी के आलिंगन से पूर्व ही हमारी चेतना जाती रहती है।
फिर भी मृत्यु वास्तव में देवी स्वरूपा है। यह कालरात्रि हमारे दूषित रक्त का पान कर मोक्ष प्रदान करे।
मैं इसे अप्सरा तो नहीं कहूँगा..?
अभी मेरे एक मित्र व नगरपालिका परिषद अध्यक्ष का 16 वर्षीय पुत्र कैंसर के कारण तीन दिनों से तड़प रहा था। मुंबई के चिकित्सकों ने निराश कर दिया। परिजन उसके लिये निद्रा की देवी का आह्वान कर रहे थें , ताकि उनका लाल इस पीड़ा से मुक्त हो जाए। गत शुक्रवार को मृत्यु की देवी ने उसे उसे चिर निद्रा प्रदान की। तब जाकर परिजनों ने दुखी मन से चैन की सांस ली।
वैसे जीवन के सारे रंग देख हम इस देवी का आलिंगन करें तो बेहतर है, परंतु यह तो बिन बुलाये चली आती है और बुलाने पर रूठ जाती है।
सार्थक प्रस्तुति के लिये यशोदा दी, आंचल पाण्डेय जी सहित सभी को प्रणाम।
वाह व्वाहहहह...
ReplyDeleteबेहतरीन..
सादर..
राही मासूम रज़ा , निवासी गंगौली गांव , जनपद गाजीपुर का आज जन्मदिन है।
ReplyDeleteउनकी यह नज़्म-
वसीयत
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मैं तीन माओं का बेटा हूँ
नफ़ीसा बेगम,अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और गंगा
नफ़ीसा बेगम मर चुकी हैं
अब साफ याद नहीं आतीं
बाकी दोनो माएं जिंदा हैं और याद भी हैं
मेरा फन तो मर गया यारों
मैं नीला पड़ गया यारों
मुझे ले जा के गाज़ीपुर की
गंगा की गोदी में सुला देना
अगर शायद वतन से दूर मौत आए
तो मेरी ये वसीयत है
अगर उस शहर में
छोटी सी एक नदी भी बहती हो
तो मुझको
उसकी गोद में सुलाकर
उससे कह देना
कि गंगा का बेटा आज से
तेरे हवाले है
~राही मासूम राजा
बहुत खूबसूरत संकलन... इस संकलन में मुझे स्थान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार ।
ReplyDeleteयशोदा जी सादर आभार आपका , आपकी नज़र से चुनकर मेरी रचना को यहां साझा करने के लिए।
ReplyDelete(वैसे तीज का त्योहार तो कल है। हाँ ... बेशक़ आज तथाकथित "नहाये-खाये" है।).
"हमक़दम" अगर हो सके तो फिर से चालू कीजिए ना ... प्लीज ....
सुन्दर अंक। आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सांध्य दैनिक हर रचना बहुत सुंदर।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।
वाह बहुत सुंदर अंक
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति
सभी रचनाएँ बेहद खूबसूरत
रचनाकारों को खूब बधाई
इन शानदार रचनाओं के मध्य मेरी रचना को स्थान देने हेतु हम आभारी हैं
सादर नमन शुभ रात्रि
वाह बेहतरीन! बहुत सुंदर संकलन।
ReplyDeletethanks gym motivaional quotes
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