स्नेहिल अभिववादन
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दामन काँटों से भरना क्यों?
जीने के ख़ातिर मरना क्यों?
रब का डर दिखलाने वालों
ख़ुद के साये से डरना क्यों?
★★★★★★
आज शाम की रचनाएँ...
इच्छाओं पर अंकुश है
भोली-भाली सौ आंखें,
दो बूंद धरा पर पड़ती
सबको उग आतीं पांखें।
हर शाम हवा चलती है
हर रात टीमते तारे,
हर सुबह कूकती कोयल
हर दिन क्या ख़ूब नज़ारे।
★★★★★
बेसबब,
हर बात की होती है
कोई न कोई वजह,..!
वृक्षारोपण, स्वच्छता,
तीज-त्योहार, क्षमापना
ये सभी निदान है
जो देते हैं अवसर
पुनर्स्थापना के,..!
जरूरत है सिर्फ चिंतन की
★★★★★
स्वभाव ही है नदियों का बहते रहना
मौजो को रुकना कब गवारा हुआ ,
बेजान से होते है परिंदे बिन परवाज के
उड़े बिना उनका कहाँ गुजारा हुआ ,
★★★★★★★
कभी दीमक तो कभी नागफनी
बातों और वादों की फांस लिए
अब तो हर डगर अटकाती ज़िन्दगी !
कभी मान तो कभी थी जरूरत
अब तो हर पल घुटती साँसों में
ज़िन्दगी का कर्ज़ उतारती है ज़िन्दगी !
★★★★★
अपने अहम के शिकार हुए
अब सबसे अलग-थलग बैठे
अहंकारी व्यक्ति का जीवन
बस अकेलेपन में ही बीते है
जब तक रहता माल जेब में
आदरणीय डॉ. सुशील सर
थोड़ी
देर के लिये
झूठा ही सही
क्या
रो नहीं सकता है
‘उलूक’
सीखता
क्यों नहीं कुछ
कभी
पढ़कर भी कुछ
★★★★★
आज का यह अंक कैसा लगा?
आप सभी की प्रतिक्रियाओं की
प्रतीक्षा रहती है।
#श्वेता सिन्हा
आभार स्वेता जी आज की सुन्दर मुखरित मौन प्रस्तुति में जगह देने के लिये।
ReplyDeleteबेहतरीन रचनाएँ..
ReplyDeleteसाधुवाद..
सादर..
सारगर्भित और सुन्दर रचनाओं से सजा सुन्दर संकलन ।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
ReplyDeleteबढिया प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत खूब ��
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति, सांध्य दैनिक में शानदार रचनाकारों की शानदार रचनाएं।
ReplyDeleteश्वेता जी आपका हार्दिक आभार और बहुत बहुत धन्यवाद ,बहुत ही बढ़िया संकलन ,नमस्कार
ReplyDeleteबहुत शानदार संकलन
ReplyDeletethanks gym motivaional quotes
ReplyDeletethanks gym motivaional quotes
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