सादर अभिवादन
गणेशोत्सव चालू आहे
लिखिए गणेश और
पढ़िए भी गणेश
सिर्फ और सिर्फ
जय श्री गणेश
आइए चलें...
गणेशोत्सव चालू आहे
लिखिए गणेश और
पढ़िए भी गणेश
सिर्फ और सिर्फ
जय श्री गणेश
आइए चलें...
जीवन पथ पर हैं काटें हज़ार
अजीब सी उलझन है
सुलझी हुई ज़िन्दगी
बिखर कर रह जाती है
सब उसे नासमझ और बुद्धू कहते है
तुम जब भी उदास होते हो
मै उन वजहों को खोजने लगती हूँ जो बन जाती है
तुम्हारी उदासी की वजह
और उन ख़ूबसूरत पलों को
याद करती हूँ
जो मेरी उदासी के समय
तुमने पैदा किये थे
भोजन शुरू हुआ, सभी देवी-देवता मन से सबकुछ
ग्रहण कर रहे थे ।बच्चों के बीच मीठे पकवान की
होड़ लगी थी, अचानक माँ पार्वती अपनी जगह से
उठीं, रसोई में जाकर एक डब्बे में मोदक भरकर
छुपा दिया कि कहीं खत्म न हो जाए
और मेरा गन्नू उदास न हो जाये !
"मैडम! गणपति स्थापना की तैयारी हो चुकी है,
सभी आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं..,"
परिचारिका की आवाज पर प्रबंधक संगी की तन्द्रा भंग होती है।
"हम बेसहारों के लिए ही न यह अस्पताल संग आश्रय
बनवाये हैं संगी...! क्या प्रकृति प्रदत्त वस्तुएं
दोस्त-दुश्मन का भेद करती हैं..!
चलो न देखो इस बार हम
फिटकरी के गणपति की स्थापना करने जा रहे हैं।"
ख़ामोशी से बातें करता था
न जाने क्यों लाचारी है
कि पसीने की बूँद की तरह
टपक ही जाती थी
अंतरमन में उठता द्वंद्व
ललाट पर सलवटें
आँखों में बेलौस बेचैनी
छोड़ ही जाता था
अब और नहीं
दिग्विजय..
दिग्विजय..
अच्छा आइडिया..
ReplyDeleteफिटकिरी के गणेशजी..
नदी हो या तालाब..
विसर्जित कर दो..
एक पंथ दो काज...
पानी भी साफ हो जाएगा...
दीदी को नमन...
बेहतरीन चयन..
सादर..
सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं संग हार्दिक आभार छोटी बहना
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति 👌
ReplyDeleteमुझे स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय
सादर
ReplyDeleteयह माँ की आम विशेषता है, अपने बच्चे के लिए इतनी बेईमानी हो ही जाती है ।
सचमुच कितना सुंदर लिखा आपने , माँ की याद दिला गयी। इसे बेईमानी नहीं स्नेह कहते हैं। प्रणाम।
सार्थक प्रस्तुति भाई साहब..
बेहद खूबसूरत प्रस्तुतीकरण
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति।गजानन के साथ -साथ माता को भी प्रणाम।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सांध्य संकलन ,सभी रचनाएं सार्थक मोहक ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद। हम एक बार फिर मिल रहे हैं, कोशिश रहेगी की अब ब्लॉग पर नियमित लिख पाऊं... किसी समय मै भी चर्चा किया करती थी, पुरानी याद ताज़ा हो गई...सभी लिंक पढ़ती हूँ,
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा...
ReplyDeleteवाह!!बहुत सुंदर प्रस्तुति!
ReplyDeleteउम्दा लिंकों से सजा शानदार मुखरित मौन....
ReplyDeleteवाह!!!
thanks gym motivaional quotes
ReplyDeletethanks gym motivaional quotes
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