Sunday, September 12, 2021

759..रिमेंबर ..फोर्टीन 'थ ऑफ सेप्टेंबर इज़ अलाटेड फॉर हिंदी दिवस सेलिबरेन

सादर नमस्कार
हिंदी दिवस पर

व्हाट डू यू नो अबाउट हिंदी
नथिंग वांट टू नो अबाउट हिंदी
आई लाईक दि सब्जी ऑफ भिंडी
कैन यू राईट अ पोईट्री इन रोमन इंग्लिश
प्लीज़ डू  इट नॉव

हिन्दी बोलना लिखना आसान है
पर रोमन इंग्लिश लिखना
काफी से अधिक जटिल है
...
रचनाएँ.....


और जागरण के नादों में,
मूल्य कहाँ इन स्वप्नों का है ।
निश्चय मानो जीवन अपना,
उत्तर गहरे प्रश्नों का है ।।



वो प्रेम ही क्या
जो आह भरा-भरा कर
सबके सीने पर
जलन का साँप न लोटवाए
काश! उन्हें भी कभी
कोई ऐसा प्रेम मिल पाता
ये सोचवा-सोचवा कर
प्रेम हलाहल न घोटवाए



तड़पाए मन, भावों के आवागमन,
उलझाए, अन्तः अवलोकन,
लब कैसे दे, यूँ, शब्दों को थिरकन!

शिकन, यूँ चेहरों पे, भाव न गढ़ते,
नैनों में, यूँ न, बहाव उतरते,
टीस भरे, गहरे से ये घाव ना रहते!



इतना कि बन जाते हो मेरी सुबहों का मंगल
मैं औषधि का प्याला बढ़ाती हूँ तुम्हारी ओर
तृप्त होऊँ तुम्हें पीते देखकर और
ले लूँ चुम्बन तुम्हारे अधरों का
अमरत्व चखना है मुझे सृष्टि का
तुम्हारे होने तक उत्सव मना सकूँ मैं भी.
तुम्हारे मन का गृहस्थ मौन है न
और मेरे मन का सन्यास, मोह भर उपजी पीड़ा.


नशा  छाया  हैं  कैसा  ये  नज़र में।
ज़रा  नैनों  से  लड़कर  देख लेना।।

नहीं  गहराई  साग़र  की पता हो
मेरे दिल मे उतर कर देख लेना।।

तड़प होती हैं क्या आकिब' ये समझो।
कभी सहरा  में रहकर देख लेना।।
....
बस

4 comments:

  1. बहुत आभार आपका, रचना को सम्मिलित करने के लिये। सुन्दर पठनीय सूत्र।

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  2. शुभ संध्या व हार्दिक आभार कि मैं भी इस प्रस्तुति का एक हिस्सा हूँ।

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  3. अति सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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