Saturday, September 4, 2021

751..“मैं अगले जन्म की तैयारी में व्यस्त हूँ...!”

सादर अभिवादन
चौथा दिन सितम्बर का
स्कूल - कॉलेज खोला जा रहा है
कुल मिलाकर शान्ति का माहौल है

इधर ब्लॉगिंग अव्यवस्थित होगा दो रोज को लिए
हरतालिका तीज जो है..सभी को अपने
मायके की सहेलियों से मुलाकात होने का दिन
सौदा भी होता है और उलाहना भी देते-लेते है(?)
प्रश्नचिन्ह बारे में सोमवार को बताउँगी

अभी रचनाएँ..


गोरे जेलर ने देखा कि जिस युवक को कल फाँसी दी जाने वाली है उसके चेहरे पर मनोहारी मुस्कान फुट रही है.. और बड़ी आत्मीयता के साथ वह उसका अभिवादन कर रहा है..। जिस दिन से यह सुदर्शन कैदी जेल में आया जेलर के विचार-धारणाओं में क्रांतिकारी परिवर्त्तन होने लगे..। जेलर से रहा नहीं गया उसने पूछ लिया, “तुम इतने प्रसन्न क्यों हो ?”

“मैं अगले जन्म की तैयारी में व्यस्त हूँ...!” युवक ने कहा


एक ढांचा भर है !
प्रेम उसका सपना था
प्रेम उसकी ख्वाहिश थी
अपनी पुरवा सी आंखों में
उसने प्रेम के बीज लगाए थे
 प्रेम की सावनी घटा बनकर
धरती के कोने कोने में
थिरक थिरक कर बरसी थी।



प्रकृति ने भी क्या खूब खेल दिखाया है,
मार के अपने जादू की लाठी, सबको सबक सिखाया है।
जहां चलन hi, hello का आया,
उसने आज अपने दोनों हाथ जोड़ नमस्कार करवाया है।
जहां लोग कर रहे थे जानवरों को पिंजरे में कैद,
वही आज उसने इंसानों को करके कैद,।
जानवरों को आजाद उड़ाया है।
प्रकृति ने क्या खूब खेल दिखाया है,



सागर की लहरें तेज थी
स्तब्ध शरीर शांत था ।
पैरों तले रेत खिसकती
सीने में उठता तूफान था ।

सुधा की चिट्ठी देख मुझे लगा अब चिट्ठी भेजने से समय पर नहीं मिल पायेगा इसलिए Send Sudha with Shyam टेलीग्राम कर दिया था. लगता है उसी का मतलब लोगों ने लगाया कि तुम्हारी माँ की तबियत ठीक नहीं है . सुधा के पिताजी ने इतना कहा ही था कि चाचा को गेट खोलते देख आश्चर्य हुआ साथ में सुधा की दादी भी थीं.


मैं
तुम्हें
इसी तरह देखता हूँ
मैं
तुम्हें
प्रकृति में पानी की
उम्मीद की तरह देखता हूँ।


आज के लिए बस

कल फिर.. 

4 comments:

  1. बहुत आभार आपका यशोदा जी। मेरी रचना को मुखरित मौन जैसे सम्मानित मंच पर स्थान देने के लिए। साधुवाद।

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  2. बेहतरीन अंक
    सादर

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  3. बहुत ही अच्छी रचनाओं वाला यह अंक...। खूब बधाई आपको।

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  4. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

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