Thursday, September 2, 2021

749..तुम्हारा हाथ हो सिर पर, हटे हर बोझ फिर मन से।

सादर अभिवादन
अभी तो दो दिन पहले जन्मदिन मनाए
भूल नहीं पाऊँगी
आज की शुरुआत अमृता जी की रचना से

कहाँ कैसे पता नहीं
शायद तेरे कल्पनाओं
की प्रेरणा बन
तेरे केनवास पर उतरुँगी



जहाँ दो गज जमीन पर भी
इतनी मार-काट मची हो
वहाँ सभ्येतर ठहाकों की गूंज
शांति की बातों से
कहीं ज्यादा डराती हैं .



ज्योति वह दामिनी बन चमके
सूर्य चंद्रमा में भी दमके,
उसी ज्योति से पादप,पशु हैं
वही ज्योति हर जड़ चेतन में !



तुम्हारा हाथ हो सिर पर,हटे हर बोझ फिर मन से।
चलें सच राह तब तक हम,मिटेगी साँस जब तन से
मिटे हर लालसा मेरी,कृपा ऐसी दिखाना तुम।
करेंगे हम सभी मिलके,बुराई दूर जीवन से



अल्मोड़ा। करबला के पास खड़ी Dl2FCG0555 में रविवार की देर शाम सांप घुस 
आया।कार में बैठने से पहले वाहन स्वामी की नजर सांप में पड़ गई। इस बीच 
मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। इधर मौके पर वन विभाग की टीम पहुंची। 
काफी देर के रेस्क्यू में तेंदुए की जान नहीं बच सकी। संवाद



सबको मान दिया करता तू
तनिक मुझे भी माना होता
मेरे दुख-सुख सामर्थ्यों को
कुछ तो कभी पहचाना होता

सामंजस्य हमारा होता
निरोगी काया हम पाते
निभा स्वयं से पहला रिश्ता
फिर दुनिया को अपनाते ।।
........
आज के लिए बस

कल फिर.. 

6 comments:

  1. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति...
    मेरी रचना साझा करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका।

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  2. मैं तुझे फिर मिलूँगी पढ़ कर मन भीग जाता है।
    अमृता जी की सभी क्षणिकाएँ जबर्दस्त हैं।

    देह दीप में तेल हृदय यह 
    ज्योति समान आत्मा ही है, 
    माटी का हो या सोने का 
    दीपक आख़िर दीपक ही है !
    कितनी सुन्दर रचना!

    अनुराधा जी की कविता या प्रार्थना बार-बार दोहरा रही हूँ जैसे कोई मन्त्र हो!

    प्रीति की साँप वाली रचना भी रोचक लगी।

    सभी रचनाकारों को बहुत बधाई

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  3. बहुत सुंदर संकलन, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।

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  4. वाह! भावभीनी रचनाओं से सजा है आज का अंक, बहुत बहुत आभार यशोदा जी!

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  5. एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट लिंकों की प्रस्तुति...
    लाजवाब

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  6. अमृतमयी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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