Wednesday, September 1, 2021

748...उँगलियाँ कलम हुईं श्याम श्वेत लिख दिया

सादर अभिवादन
पहला दिन
सितम्बर का
उत्सवों का सिलसिला शुरु
ये तो हर वर्ष ही होता है..
हमलोगों की दोहराने की
आदत जो पड़ गई है

पहली बार दो नए ब्लाग शिवमणि साहू जी व कैलाश मण्डलोई जी
ज़रूर पढ़िए नया लेखन पढ़ना ही चाहिए
चलिए चलें ......

उस पार्क की घासें
इस बार काटी नहीं गई थी
वें उग कर काफी बड़ी हो गई थी


रेत रेत लिख दिया
देह खेत लिख दिया
उँगलियाँ कलम हुईं
श्याम श्वेत लिख दिया


मैं जरूर आऊँगी कभी-कभी मिलने तुमसे
एक पेड़ मात्र तो  नहीं हो तुम मेरे लिए
कोई  जाने न जाने पर तुम तो जानते हो न
कि क्या हो तुम मेरे लिए…!

अपनी दुआओं में याद रखना मुझे
आज विदा लेती हूँ दोस्त

सोच रहा खड़ा व्यथित मन
मन के सूने आँगन में
दूर-दूर तक फैला
बेकारी का मरुस्थल
शायद कभी खत्म नहीं होगा।


अच्छा होता है
खराब भी ।
खाया भी जा सकता है
चाटा भी ।
खुलता भी है
बंद भी ।
और तो और
बत्ती भी जलती है  
जमता है दही भी


तभी कमरे से आवाज आई – बहू मै कह रही थी कि दो दिन के लिये तुम ऑफिस से छुट्टी ले लो,  मेरे से नहीं संभलेगी तुम्हारी ये रसोई वसोई, ये पोछा वोछा। इससे पहले कि मै कुछ कहती , सुनील मां की बात का समर्थन करते हुये बोले - अरे मां आप क्यों चिंता कर रहीं है, वसू ले लेगी ना छुट्टी, आप तो बस आराम से पक़ौडिया खाइये


आज के लिए बस
कल फिर..

 

7 comments:

  1. बहुत सुंदर संकलन, यशोदा दी।

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  2. बेहतरीन रचनाओं का संकलन दी,सादर नमन आपको

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  3. उत्कृष्ट रचनाओं का संकलन।
    सादर।

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  4. Shivmani sahu ji and Kailash ji, dono ko hardik badhai, sundar rachnaay. Yashida ji ko mera naman

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    1. आभार, आप आए
      पर दोनों के दर्शन नहीं हुए
      सादर..

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  5. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति...
    यशोदा जी मेरी रचना साझा करने हेतु आभार आपका और देर से आने के कारण क्षमा🙏
    -मानव और विकास
    - रेत रेत लिख दिया
    देह खेत लिख दिया
    उँगलियाँ कलम हुईं
    श्याम श्वेत लिख दिया…बहुत ही सुन्दर रचना
    -कैलाश मंडलोई जी की रचना नहीं पढी जा रही।खुल नहीं रही।
    -यह दिमाग ही है जो 
    आवेश को 
    नियंत्रण में रखता है ।
    पर प्रयोग न करने पर 
    दीमक भी लगता है।…वाह
    -रोचक व प्रभावशाली लघुकथा !

    सभी रचनाकारों को बहुत बधाई 💐

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    1. शुभ प्रभात
      आभार
      ये लिंक है
      सादर
      https://kelashmandloi.blogspot.com/2021/08/blog-post_20.html

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