Monday, September 14, 2020

478..स्तब्ध खड़ा नीम का वृक्ष उनींदा है

आज दिन भर हिन्दी दिवस था
फेसबुक में हिन्दी ही हिन्दी
छाई हुई थी
शुभ कामनाएँ
रचनाएं देखें..

लो काञ्चन पीठस्थान या कोई बुर्ज -
आलिशान, न निकल पाए अगर
मम त्वम् के आवृत से तो
मुश्किल है करना
मुक्ति स्नान,
अनवरत
स्व परिक्रमा, जिसका नहीं कोई भी
अवसान - -


जनम जनम का बंधन है ये, 
हर पल साथ निभायेंगे।
कुछ भी संकट आये हम पर , 
कभी नहीं घबरायेंगे।।


होने को है भोर
प्रातःसमीरण में झूम रही हैं 
पारिजात की डालियाँ 
गा रहे हैं झींगुर अपना अंतिम राग
स्तब्ध खड़ा नीम का वृक्ष उनींदा है 
अभी जागेगा 


निजी वाहन से अहमदाबाद से सोमनाथ 
जाते समय तेज भूख लग गई थी... 
वाहन चालक ने एक जगह गाड़ी रोकी 
और हमें खिचड़ी भोजन कर लेने का सुझाव दिया। 
हमलोग राजगढ़ खिचड़ी खाये और 
उसका स्वाद हमारे आत्मा में बस गया..।


बारिश और ठंड ने मिल कर
शहर के बिसूरते से मूड पर
झक्कीपन  की चादर 
चँदोवे सी तान दी..

एक शंका सी है मन में..
बदली आबोहवा के साथ 
सामाजिक दूरियां
कहीं भावात्मक दूरी 
 में तब्दील न हो जाए...
...
आज बस
सादर

7 comments:

  1. आभार दिबू...
    शुभकामनाएँ
    सादर..

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  2. असंख्य धन्यवाद एवं हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।

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  3. खूबसूरत प्रस्तुति, हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. खूबसूरत प्रस्तुति
    *एक हकीकत*
    इसलिए *हिंदी* नायाब है
    छू लो तो *चरण*
    अड़ा दो तो *टांग*
    धँस जाए तो *पैर*
    फिसल जाए तो *पाँव*
    आगे बढ़ाना हो तो *कदम*
    राह में चिह्न छोड़े तो *पद*
    प्रभु के हों तो *पाद*
    बाप की हो तो *लात*
    गधे की पड़े तो *दुलत्ती*
    घुंघरू बाँध दो तो *पग*
    खाने के लिए *टंगड़ी*
    खेलने के लिए *लंगड़ी*

    अंग्रेजी में सिर्फ- LEG
    *🌹🌹हिन्दी दिवस की बधाई🌹🌹*

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  5. सुन्दर लिंकों से सुसज्जित संकलन में मेरे सृजन को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार दिव्या जी । हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. हिंदी दिवस पर शुभकामनाएँ, हिंदी फले-फूले, हमें और क्या चाहिए,सुंदर प्रस्तुति, आभार !

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