Tuesday, September 22, 2020

486 ...आज के अंक का विलम्बित प्रकाशन

 आज के अंक का विलम्बित प्रकाशन
भूल ही गए थे
कोई बात नहीं 
आज का अंक 
वाकई सांध्य अंक हो गया


काश जान पाते - -

वो आदमी जो फूटपाथ पे रात

दिन, धूप छांव, गर्मी सर्दी

अपने हर पल गुज़ार

गया, काश जान

पाते उसके

ख़्वाबों

में ज़िन्दगी का अक्स क्या था,

नेकी की सीख ...

"सूर्यास्त की छवि उस वजह से ही कुछ ज्यादा मनमोहक चुम्बकीय...,

" मयूर की बातें पूरी होने के पहले ही मानस द्वारा अचानक लिए गए 

ब्रेक से कार झटके से रुक गई।

"क्या हुआ?" मयूरी और मयूर एक साथ बोल पड़े।

"थोड़ा पीछे देखो, शायद उन्हें हमारी सहायता की आवश्यकता है।" 

तो जवाब सुनने का धैर्य भी रखिए ...

जब सफलता, सम्मान और प्रतिष्ठा 

कुछ लोगों के सर पर 

पालथी मार कर जम जाते हैं, 

तब उन्हें संभालना 

सब के बस की बात नहीं रह जाती ! 

ऐसे में उन्हें हर इंसान गौण नजर आने लगता है। 

अपनी अक्ल और ज्ञान के गुमान के सामने 

उन्हें दूसरों की हर बात गलत लगने लगती है।


गीत ...

प्रेम आलिंगन मनोरम

लालिमा भी लाज करती

पूर्णता भी हो अधूरी

फिर मिलन आतुर सँवरती

प्रीत की रचती हथेली

गूँज शहनाई हृदय में।।
...
बस
सादर










4 comments:

  1. असंख्य धन्यवाद मेरी रचना को जगह देने के लिए, नमन सह ।

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  2. व्वाहहहहहह..
    सादर..

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  3. मेरी तो सुबह सुंदर हो गई
    साधुवाद के संग हार्दिक आभार आपका

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  4. मेरी रचना को स्थान देने के लिये हार्दिक आभार

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