सादर नमस्कार
फेसबुक तो फेसबुक
व्हाट्सएप्प में भी
सलाहकारों की कमी नहीं है
हर कोई जैसे वैद्य बना नज़र आ रहा है
नुस्ख़ा पे नुस्ख़ा पेले जा रहा है
खैर..लोग चुपचाप दाढ़ी खुजा के सुन लेते हैं
चलिए चलें....
अमर स्पर्श ....अनीता जी
“वियोगी होगा पहला कवि,
आह से उपजा होगा गान
उमड़ कर आँखों से चुपचाप,
बही होगी कविता अनजान”
बादलों से ...ओंकार जी
बादलों,
मैं चाँद को देख रहा था
और चाँद मुझे,
तुम क्यों आ गए बीच में ?
इतनी बड़ी दुनिया में
कहीं भी चले जाते,
बस चाँद-भर आकाश छोड़ देते,
बाक़ी सब तुम्हारा था.
राम मंदिर और सोमपुरा परिवार ...कुछ अलग सा
चंद्रकांत सोमपुरा
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से जुडा सोमपुरा परिवार एक ऐसा अनोखा परिवार है, जो पिछली सोलह पीढ़ियों से मंदिर निर्माण कार्य में जुटा हुआ है। नागर शैली में मंदिरों की रचना में इस परिवार को महारथ हासिल है। इसी शैली में अयोध्या में राममंदिर का निर्माण भी होना है। सोमपुरा परिवार का मानना है कि उनके पुरखों ने मंदिरों की रचना और उनकी बनावट की कला दैव्य वास्तुकार विश्वकर्मा से सीखी थी । उनके दादा प्रभाशंकर जी ने जगत-प्रसिद्ध गुजरात के सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था.......................!
चंचल मन ..अनीता सुधीर
भरी कढ़ाही ओटती
तब जिह्वा का स्वाद
मंद आँच का तप करे
आहद अनहद नाद
लोक सभी तब तृप्त हो
सूत न खोए धीर।।
चंचल मन..
नारी के हैं रूप अनेक ..सुजाता प्रिय
मत कहो कि है अबला नारी।
सदा- ही रही है सबला नारी।।
पाई है वह बस, दो- ही हाथ।
कितने कामों को करती साथ।।
सबके लिए है भोजन पकाती।
दूर तालाब से है पानी लाती।।
यूँ माना ज़िन्दगी है चार दिन की ...... फ़िराक़ गोरखपुरी
मिला हूँ मुस्कुरा कर उससे हर बार
मगर आँखों में भी थी कुछ नमी-सी
महब्बत में करें क्या हाल दिल का
ख़ुशी ही काम आती है न ग़म की
भरी महफ़िल में हर इक से बचा कर
तेरी आँखों ने मुझसे बात कर ली
भारी पड़ गई लोगों को उलूक की दाढ़ी
अब
अपने खेत में भी
अपना ही
अनाज उगाना
जैसे
कोई गुनाह होते जा रहा है
जिसे देखो
जोर लगा कर पूछते हुऎ
जरा भी
नहीं शरमा रहा है
भाई
तू आजकल दाढ़ी रखे हुऎ
शहर के अंदर
खुले आम
क्यों नजर आ रहा है
.....
बस..
कल कोई नही आया तो
हम तो हैं ही
सादर
फेसबुक तो फेसबुक
व्हाट्सएप्प में भी
सलाहकारों की कमी नहीं है
हर कोई जैसे वैद्य बना नज़र आ रहा है
नुस्ख़ा पे नुस्ख़ा पेले जा रहा है
खैर..लोग चुपचाप दाढ़ी खुजा के सुन लेते हैं
चलिए चलें....
अमर स्पर्श ....अनीता जी
“वियोगी होगा पहला कवि,
आह से उपजा होगा गान
उमड़ कर आँखों से चुपचाप,
बही होगी कविता अनजान”
बादलों से ...ओंकार जी
बादलों,
मैं चाँद को देख रहा था
और चाँद मुझे,
तुम क्यों आ गए बीच में ?
इतनी बड़ी दुनिया में
कहीं भी चले जाते,
बस चाँद-भर आकाश छोड़ देते,
बाक़ी सब तुम्हारा था.
राम मंदिर और सोमपुरा परिवार ...कुछ अलग सा
चंद्रकांत सोमपुरा
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से जुडा सोमपुरा परिवार एक ऐसा अनोखा परिवार है, जो पिछली सोलह पीढ़ियों से मंदिर निर्माण कार्य में जुटा हुआ है। नागर शैली में मंदिरों की रचना में इस परिवार को महारथ हासिल है। इसी शैली में अयोध्या में राममंदिर का निर्माण भी होना है। सोमपुरा परिवार का मानना है कि उनके पुरखों ने मंदिरों की रचना और उनकी बनावट की कला दैव्य वास्तुकार विश्वकर्मा से सीखी थी । उनके दादा प्रभाशंकर जी ने जगत-प्रसिद्ध गुजरात के सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था.......................!
चंचल मन ..अनीता सुधीर
भरी कढ़ाही ओटती
तब जिह्वा का स्वाद
मंद आँच का तप करे
आहद अनहद नाद
लोक सभी तब तृप्त हो
सूत न खोए धीर।।
चंचल मन..
नारी के हैं रूप अनेक ..सुजाता प्रिय
मत कहो कि है अबला नारी।
सदा- ही रही है सबला नारी।।
पाई है वह बस, दो- ही हाथ।
कितने कामों को करती साथ।।
सबके लिए है भोजन पकाती।
दूर तालाब से है पानी लाती।।
यूँ माना ज़िन्दगी है चार दिन की ...... फ़िराक़ गोरखपुरी
मिला हूँ मुस्कुरा कर उससे हर बार
मगर आँखों में भी थी कुछ नमी-सी
महब्बत में करें क्या हाल दिल का
ख़ुशी ही काम आती है न ग़म की
भरी महफ़िल में हर इक से बचा कर
तेरी आँखों ने मुझसे बात कर ली
भारी पड़ गई लोगों को उलूक की दाढ़ी
अब
अपने खेत में भी
अपना ही
अनाज उगाना
जैसे
कोई गुनाह होते जा रहा है
जिसे देखो
जोर लगा कर पूछते हुऎ
जरा भी
नहीं शरमा रहा है
भाई
तू आजकल दाढ़ी रखे हुऎ
शहर के अंदर
खुले आम
क्यों नजर आ रहा है
.....
बस..
कल कोई नही आया तो
हम तो हैं ही
सादर
सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल की. आभार.
ReplyDeleteबेहतरीन संकलन
ReplyDeleteरोचक भूमिका और चुने हुए पठनीय लिंक्स से सजी सुंदर प्रस्तुति, आभार यशोदा जी !
ReplyDeleteसुंदर सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह सुंदर रचना प्रस्तुति
ReplyDelete