Saturday, September 5, 2020

469 ...लिखना जरूरी है। मजबूरी है।

सादर नमन

सभी गुरुजनों को

शिक्षक को उसकी
छड़ी लौटा दीजिये
शिक्षक देश में
अनुशासन लौटा देगा

रचना कभी पुरानी नहीं होती...
शिक्षक ....श्वेता दीदी

नित नन्हे माटी के दीपक गढ़ते,
नव अंकुरित भविष्य के रक्षक हैं ।
सपनों में इंद्रधनुषी रंग भरने वाले,
अद्वितीय चित्रकार  शिक्षक हैं।

कृषक, शिष्यों के जीवन के कर्मठ,
बंजर भूमि पर हरियाली लाते हैं।
बोकर बीज व्यक्तित्व निर्माण के,
समय के पन्नों पर इतिहास बनाते हैं।


एक शिक्षक ऐसा भी...
'दायित्वहीन' ..विभा दीदी
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आज जैसे ही मैं पढ़ाने बैठा... उसने एक प्लेट में मिठाइयाँ लाकर मेरे सामने रख दी... मैं समझा शायद रिजल्ट अच्छा आया है... पास होने की इतनी मिठाई... एक दो पीस बर्फी का ही काफी था... उसने शर्मीली मुस्कान छोड़ते हुए बहुत धीमे से कहा, "मैं जिस लड़के से प्यार करती थी... उसी से मेरी शादी तय हो गयी है... इतना सुनते ही मैं 'बधाई' शब्द तक नहीं कह पाया और मिठाई मुझे ऐसी लगी.. जैसे मैं ज़हर खा रहा हूँ।


ढेर सारे तमाशबीन...
नवजात बच्ची .......सुषमा सिंह

चौराहे के पास,
कूड़े के ढेर पर,
पड़ी थी नवजात,
खड़ी थी भीड़ घेरकर।

किस कुलक्षणा ने,
हाय यह कृत्य किया
डूब क्यों न मर गयी,
कर्म जो निंदित किया ।

शिक्षक की परिभाषा...
शिक्षक ...सुजाता प्रिय

ऐसे शिल्पकार
जो मंदिर उठाते ज्ञान के।
शिक्षक   ऐसे   काष्ठकार जो , 
द्वार बनाते  ज्ञान   के।    
शिक्षक   ऐसे   मूर्तिकार जो, 
मूरत  बनाते  ज्ञान   के।
शिक्षक   ऐसे   बुनकर हैं जो,
वस्त्र  बनाते  ज्ञान   के।

आज कुछ विचलित से हैं डॉ. भैय्या
   
तेरे ही एक दिन के पहले दिन ‘उलूक’
तेरा ही प्रिय तेरी ही एक दास्ताँ लेकर तेरे पास आया था

पुरुस्कारों की बारिशों के मेले के बीच उसके रोने को सुनकर
तू भी कहाँ जरा सा भी रो पाया था

उजाले पीटने के दिन थोड़ा अंधेरा भी लिखना जरूरी था
बस लिखने चला आया था।
...
आज बस
इति शुभम्
सादर





3 comments:

  1. आभार दिव्या जी।
    शुभकामनाएं शिक्षक दिवस पर।

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  2. आभार दिबू..
    बढ़िया प्रस्तुति..
    सादर..

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  3. सुंदर अंक, अच्छी प्रस्तुति।

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