31 मई ....
31 मई को दुनिया भर में हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य तंबाकू सेवन के व्यापक प्रसार और नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना है, जो वर्तमान में दुनिया भर में हर साल 70 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है, जिनमें से 890,000 गैर-धूम्रपान करने वालों का परिणाम दूसरे नंबर पर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य राज्यों ने 1987 में विश्व तंबाकू निषेध दिवस बनाया। पिछले इक्कीस वर्षों में, दुनिया भर में सरकारों, सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों, धूम्रपान करने वालों, उत्पादकों से उत्साह और प्रतिरोध दोनों मिले हैं।
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दूसरा समाचार भी है
आज लॉकडाउन 4 समाप्त हो रहा है..और
अनलॉक पीरियड का पहला काल, कल से शुरु हो रहा है
इसमें प्रमुख भूमिका जनता की है
लॉकडाउन की आदतों पर
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दूसरा समाचार भी है
आज लॉकडाउन 4 समाप्त हो रहा है..और
अनलॉक पीरियड का पहला काल, कल से शुरु हो रहा है
इसमें प्रमुख भूमिका जनता की है
लॉकडाउन की आदतों पर
लगाम कसे रखने की समझाईश भी है
यानी जीना है तो घर का भोजन
ही करना है...
ज़िन्दगी और मर्जी दोनों आपकी है
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अब चलें रचनाओं की ओर..
यानी जीना है तो घर का भोजन
ही करना है...
ज़िन्दगी और मर्जी दोनों आपकी है
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अब चलें रचनाओं की ओर..
जीवन का उद्देश्य भुलाकर
भटका जग के कानन में
व्यसन अहेरी जाल बिछाता
लोभ लुभाता आनन में
जीव बना पिंजरे का पंछी
करता रहता नित क्रंदन
महक रहा है कस्तूरी सा
अंश प्रभो का कर वंदन।।
इश्क है मेहमान दिल में आज भी
प्यार कम है पर ज़ियादा क्यों नहीं ।।
जा रहा था राह से मेरी मगर
प्यार से उसने पुकारा क्यों नहीं।।
मेरी क़लम पे मेरे उसूलो
मेरी परवरिश की जर्द हैं,
आसानी से तुम्हारे रास्तों से
हट जाऊं तो बता देना,
महीना बीत रहा है
कल कुछ कहा नहीं
क्या आज भी कुछ
नहीं कह रहा है
कहते हुऐ तो आ रहा हूँ
आज से नहीं एक
जमाने से गा रहा हूँ
मेंढको के सामने
रेंक रहा हूँ
गधों के पास जा जा
कर टर्रा रहा हूँ
इसकी सुन के आ रहा हूँ
उसकी बात बता रहा हूँ
पन्ना पन्ना जोड़ रहा हूँ
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कल शायद फिर
सादर
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कल शायद फिर
सादर
अति सुन्दर, जिन्दगी और मर्जी हाथ में
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार।
ReplyDeleteबहुत अच्छे लिंक्स हैं।
धन्यवाद
बहुत अच्छा अंक
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌 सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏🌹 मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार
ReplyDeleteआभार।
ReplyDeleteखुद को संयमित करने का समय आ गया है। जगत की नियामतें भी तभी तक हैं जब तक जीवन है
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