सादर अभिवादन
घनघोर बादल
कड़कती बिजलियां
तेज चलती हवाएँ
पर अफसोस
जल की एक बूँद भी नहीं
नहीं है यहां पर
अम्फान का कहर
शुक्र है ....
चलिए रचनाएं देखें....
घनघोर बादल
कड़कती बिजलियां
तेज चलती हवाएँ
पर अफसोस
जल की एक बूँद भी नहीं
नहीं है यहां पर
अम्फान का कहर
शुक्र है ....
चलिए रचनाएं देखें....
न छनछन पायल बजती है
न छन-छन के धूप आती है
लेकिन स्वाद होंठों पर है प्रेम का ऐसा
कि बहार हर सू नज़र आती है
पगडंडियों पर चलने में एक अलग अनुभूति होती है।
पगडंडियाँ अपनी राह में
आने वाले पेड़ पौधे ,घास फूस, झाड़ी ,
नदी नाले ,जंगल इत्यादि को कभी रौंदती नही
बल्कि उन सबके अस्तित्व को
बचाते हुए आगे बढ़ती जाती है।
पगडंडियों पर कभी भीड़ नही होती ,
कभी रास्ते रुकते या बन्द नही होते।
न आदि है, ना ही अंत है!
उन चेतनाओं में, सुसुप्त प्राण है,
उनकी कल्पनाओं में, इक अनुध्यान है,
उन वेदनाओं में, इक अजान है,
बची है, श्याम-श्वेत सी,
इक तलाश!
भले घर की लड़कियाँ
ये सब काम नहीं करती
ज़माना सही नहीं है
जब अभिभावकों के
हद के बाहर का हो
पलड़े का वजन
कहो न!!
क्या विशेष हो तुम?
जिसकी गुमनाम मौत पर
क्रांति गीत गाया जाए?
शोक मनाया जाए?
महामारी के दौर की
एक चर्चित भीड़!
सबसे बड़ी ख़बर,
जिनके अंतहीन दुःख
अब रोमांचक कहानियाँ हैं..?
जागने पर भी नहीं आंख से गिरतीं किर्चें
इस तरह ख़्वाबों से आंखें नहीं फोड़ा करते
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते
...
बस
कल शायद फिर
सादर
...
बस
कल शायद फिर
सादर
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
ReplyDeleteजाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते
बेहतरीन प्रस्तुति...
सादर...
सुंदरतम प्रस्तुति
ReplyDeleteनहीं है वहाँ पर अम्फान का कहर
ReplyDeleteशुक्र है... सदा सुरक्षित रहें
अक्षय शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार...
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर सूत्र संयोजन
ReplyDeleteसभी रचनकारों को बधाई
आपका आभार
पढ़ें--लौट रहे हैं अपने गांव