आदरेषु
आज का अंक
वर्षांत अंक है
आज से 365 दिन पहले
इस ब्लॉग की शुरुआत हुई थी
आज का अंक चित्रावली अंक है
कोई रचना नहीं
सिर्फ और सिर्फ
राम का नाम
और रामेश्वर का नाम
कोई रचना नहीं
सिर्फ और सिर्फ
राम का नाम
और रामेश्वर का नाम
अपने शिल्पी के नाम से विख्यात,
प्राणप्रतिष्ठा के दिन महाराज गणपति देव ने जैसे ही मंदिर को देखा,
वे अचंभित, ठगे से खड़े रह गए ! उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था
कि ऐसा भव्य, खूबसूरत, विशाल और अद्भुत निर्माण उन्हीं के
राज्य में हुआ है ! उनकी आँखों से अश्रुधारा बह निकली !
उन्होंने आगे बढ़ कर रामप्पा को गले से लगा लिया और कहा
कि मैं धन्य हूँ, जो तुम जैसा कलाकार मेरे पास है।
संसार की कोई भी निधि, कोई भी संपदा तुम्हारी इस
कला का मोल नहीं चुका सकती ! तुमने मुझे और
अपनी धरती को धन्य कर दिया। आज तक हर मंदिर उ
समें स्थापित देव प्रतिमा के नाम से ही जाना जाता रहा है,
पर मैं इस मंदिर का नाम तुम्हारे नाम पर रखता हूँ !
आज से यह मंदिर रामप्पा मंदिर के
नाम से जाना जाएगा.....!
रामाप्पा या राम लिंगेश्वर मंदिर तेलंगाना में मुलुगू जिले के
वेंकटापुर मंडल के सैकड़ों साल से आबाद पालमपेट गांव में स्थित है। तेलंगाना के वारंगल जिले से इसकी दूरी करीब 70 की. मी. है।
मंदिर का विहंगम दृश्य
और इसी तैरते पत्थर से बना था रामसेतु
मंदिर के अंदर भगवान शिव जी का मंदिर
-
शिवहाहन नंदीश्वर
और मंदिर में स्थित कुछ
स्तम्भ और भित्तिचित्र
और मंदिर में स्थित कुछ
स्तम्भ और भित्तिचित्र
विशाल प्रांगण
इसकी दिनों-दिन बढ़ती ख्याति के कारण यहां
पर्यटकों की आवा-जाही भी बहुत बढ़ गई है। इसीलिए
उनकी सुख-सुविधा को ध्यान में रख पर्यटन विभाग भी
जागरूक हो गया है उसी के तहत इसके
पास की झील के
पास की झील के
किनारे कॉटेज व रेस्त्रां वगैरह की सुविधाएं
उपलब्ध होने लग गई हैं।
अंत में एक ही विनती
श्रीरामचन्द्र जी से
पूरे विश्व से विषाणु कोरोना
का समापन करें और
और रोगियों को स्वस्थ करें
आभार भाई गगन शर्मा जी को
इतनी सुन्दर जानकारी साझा की
आपकी जानकारी हेतु
मैं सपरिवार इस मंदिर मे गई थी
यह मंदिर भद्राचलम में है
रेल्वे स्टेशन भद्राचलम रोड के नाम से है
जगदलपुर-हैदराबाद रोड पर स्थित है
सादर
अंत में एक ही विनती
श्रीरामचन्द्र जी से
पूरे विश्व से विषाणु कोरोना
का समापन करें और
और रोगियों को स्वस्थ करें
आभार भाई गगन शर्मा जी को
इतनी सुन्दर जानकारी साझा की
आपकी जानकारी हेतु
मैं सपरिवार इस मंदिर मे गई थी
यह मंदिर भद्राचलम में है
रेल्वे स्टेशन भद्राचलम रोड के नाम से है
जगदलपुर-हैदराबाद रोड पर स्थित है
सादर
शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteसादर...
बधाई दी आज ब्लॉग की सालगिरह है।
ReplyDeleteसकारात्मकता और ऊर्जा से भरा यह सफ़र अनवरत चलता रहे।
विविधापूर्ण रचनाओं के आस्वादन के साथ
मेरी रचनाओं को मंच ने आपके माध्यम से खूब सम्मान दिया उसके लिए सदा आभारी हूँ।
सादर
बहुत सुंदर जानकारी और चित्र...ब्लॉग की सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीया दीदी।
ReplyDeleteवाह प्रथम सालगिरह पर अशेष बधाइयां, ब्लाग दिन दूनी रात चौगुनी लोकप्रियता हासिल कर आगे बढ़ता रहे।
ReplyDeleteआज की प्रस्तुति सात्त्विक सुंदर ।
बहुत बहुत बधाई
वाह! सुंदर प्रस्तुति !! मुखरित मौन की वर्षगांठ की हार्दिक बधाई 🙏🙏💐💐
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति, मुखरित मौन के प्रथम वर्षगांठ पर बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐
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