Saturday, May 16, 2020

356..जंग में होती है शह और मात

सादर अभिवादन
आज शनिवार और कल
रविवार को
छत्तीसगढ़ में पूर्ण लॉकडाउन है

सोचे फायदा उठा लें
चलिए रचनाओं की ओर..


जंग में होती है शह और मात ...लारा
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ऐसे तो हर एक जंग में होती है शह और मात 
हमें अब जीना होगा इस कोरोना के साथ 

हाथ मिलाना छोड़कर दोनों हाथों को जोड़िये 
अपने संस्कार यही हैं अपवादों को तोड़िये 



कोमल किसलय ..साधना वैद

देख रहे हो मुझे ?
कितना सुन्दर है मेरा रूप
कितना खुशनुमां है मेरा रंग
कितना कोमल है मेरा बदन
और कितनी मादक है मेरी खुशबू !
नन्हा सा अवश्य हूँ लेकिन
हौसला बहुत है मुझमें


कुटुंब ....सुनीता अग्रवाल "नेह" 

उधड़े रिश्ते 
सिलती रही अम्मा 
सांझा कुटुंब 

साँझी अंगीठी 
रोटियों संग पके 
चुहल मीठी 


अदबी दुनिया: नज़्म ...आकीब जावेद

शायर,कवि,लेखक लिखता है
गलत जो समझे  वो है नादान

सियासत को आँखे कैसे दिखाओ
क़लम से देते हो तुम जो लगान


महजबी अलाव को सलाम ...विनोद प्रसाद

धूप को सलाम है,है छांव को सलाम
छोड़ जो आए हरेक गाँव को सलाम

निःस्वार्थ समर्पित है सेवार्थ सभी के
तपते रास्तों के नंगे पाँव को सलाम

आज बस
कल फिर
सादर



5 comments:

  1. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का मुखरित मौन ! मेरी रचना को इसमें स्थान दिया ! आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी ! सादर वन्दे !

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  2. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति

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  3. बढ़िया लिंक संयोजन मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  5. धन्यवाद आदरणीय 🙏मेरी भी रचना को स्थान देनेके लिए
    एक से बढ़कर एक सभी की रचनाएँ

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