आज वट सावित्री है
इधर बरसाईत भी कहते हैं
इधर बरसाईत भी कहते हैं
धार्मिक मान्यता के अनुसार,
यदि कोई शादीशुदा महिला
इस व्रत को सच्चे मन से करती है
तो उसका पति दीर्घायु होता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार यह व्रत
हर साल ज्येष्ठ माह की
अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है
,,,
अब चलें रचनाओं की ओर...
,,,
अब चलें रचनाओं की ओर...
तुम हो अपराजेय
अजन्मा
कौन प्रमाणित करता ,
तेरे सम्मुख
शीश झुकाता
महाकाल भी डरता ,
यह नश्वर
दुनिया सोने
से माटी तोल रही |
शब्दों का क्या है !
जितने मर्ज़ी खर्च कर लो
मगर शब्द
कहने में हलके
और सुनने में
भारी होते हैं
कहने वाला
बस कह देता हैं
सुनने वाले के
मन में डूब जाते हैं
दर्पण, तू लोगों को
आईना दिखाता है
बड़ा अभिमान है तुम्हें
अपने पर ,
कि तू सच दिखाता है।
आज तुम्हे दर्पण,
दर्पण दिखाते हैं!
जो कुछ है पुरुषार्थ यहां , उसके आगे ईश
आलस में सामर्थ्य नही आलस व्यापत विष
निर्जन वन अब कहाँ गये, कहा गया एकांत
अब ऐसा एक रोग मिला ,गलिया भी है शांत
सुबह होने तक
गले लगकर संग मेरे तुम
ईद मनाती रही और ...
मैं तुम्हारी मीठी-सोंधी
साँसों की सेवइयां और ...
होठों के ज़ाफ़रानी जर्दा पुलाव
चखता रहा तल्लीन होकर....
मीठा- मीठा सुगंधित असर
है ये शायद ... उसी का
यह उम्र बढ़ती जा रही है
घट रहा है हमारे भीतर आवेग
मिट रही हैं स्मृतियाँ उसी गति में
मेरी व्याकुलता
जैसे लड़ाई के दिनों में एक सैनिक का
परिवार को लिखा पत्र
और उसके लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाने की पीड़ा में
घुला जीवन!
रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteसादर..
हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteकोई आपत्ति नहीं पतियों के दीर्घायु होने से, 'बट', पत्नियों के उम्रदराज होने के लिए कोई व्रत नहीं!😊 सुंदर संकलन।
ReplyDeleteyashoda Agrawal जी
ReplyDeleteबहुत अच्छे लिन्क जोड़े हाँ आपने
वैट सावित्री लेख बहुत अच्छा गए
तुम हो अपराजेय
अजन्मा
कौन प्रमाणित करता ,
तेरे सम्मुख
शीश झुकाता
महाकाल भी डरता
ये रचना बहुत वज़नदार लगी। .. जयकृष्ण राय तुषार जी को बधाई
सभी रचनाये बहुत अच्छी हैं
इन अच्चे रचनाएं में मेरी रचना को स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार
यही उत्साह बढ़ाते रहें
सुन्दर प्रस्तुति..
हार्दिक आभार आपका
सुंदर रचना प्रस्तुति
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