लॉक डाउन खुल गया रायपुर में
रेड जोन में होते हुए भी
दवा-दारू अब बेख़ौफ मिलेगी
पान-गुटखा पर विचार जारी है
रेड जोन में होते हुए भी
दवा-दारू अब बेख़ौफ मिलेगी
पान-गुटखा पर विचार जारी है
खैर सरकार की मर्जी..
जो है सो है
सादर अभिवादन..
रचनाएं देखें..
जो है सो है
सादर अभिवादन..
रचनाएं देखें..
उन्हें क्या कहें
साहसी कहें
और उनके
साहस को
नमन करें।
या उन्हें
कायर कहे
और
लक्ष्मण रेखा
पार करने के जुर्म में
उन्हें छोड़ दें
यमराज के चंगुल में।
आज सुबह से ही मौसम बिगड़ रहा था। गीता गांव के हाल-चाल फोन पर ले रही कि मौसम की मार से पहले खलिहान में पड़ा अनाज घर तक सुरक्षित पहुँचा या नहीं।
पुनीत अख़बार पढ़ रहा था, सासु माँ अंदर रुम में आराम कर रही थी।
"वह अपने बच्चों की भूख मिटाने के लिए पत्थर उबाल रही थी।"
पुनीत ने विस्फारित नेत्रों से मम्मी से कहा और फिर दूसरा समाचार पढ़ने लगा।
"अनपढ़ होगी!"
गीता की सास ने कमरे के अंदर से आवाज़ दी।
"मॉम कहती है माँ कभी अनपढ़ नहीं होती।"
धरती का श्रृंगार है , इनसे कर लो प्यार।
वृक्षों ने हमको दिया , ये सुंदर संसार।।
पंछी के घर बार है , बरसाते ये मेघ,
बिना मुकुट के भूप हैं , करें प्रकृति श्रृंगार।
हरे हवा के जहर को , इनसे मिलती श्वांस,
देते हैं बिन लोभ के , करते नित उपकार।
मेहनत मजदूरी,
भाग्य लिखी मज़बूरी।
रात दिन खट के भी,
मान नहीं पाती है।1।
सिर पर छत नहीं,
बीते रात दिन कहीं।
ईंट गारा ढोती घर,
दूजे का बनाती है।2।
देख लहरों को डर गए कुछ लोग
नाव से ही उतर गए कुछ लोग
करके क़ुर्बान ज़िंदगी अपनी
प्यार में उफ्फ बिखर गए कुछ लोग
हर सितम सह रहे यहाँ जीकर
ज़िंदा रहकर भी मर गए कुछ लोग
..
बस कल की कल
सादर
..
बस कल की कल
सादर
बेहतरीन..
ReplyDeleteसादर..
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीया यशोदा दीदी. सुंदर सारगर्भित रचनाओं का संकलन.
ReplyDeleteइस बेहतरीन प्रस्तुति में अपनी लघुकथा देखकर बहुत ख़ुशी हुई.
सादर.
वाह बहुत खूबसुरत प्रस्तुति
ReplyDeleteलाजवाब 👌🏻👌🏻👌🏻
ReplyDeleteबहुत शानदार लिंक , सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत बहुत आभार 🙏
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ,सुंदर प्रस्तुति ,सबको मातृ दिवस की बधाई हो ,नमन
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