आज तीन सौ उनसठवाँ अंक
साल पूरा होने को है
इस सांध्य दैनिक का
महीना नहीं गुजरेगा
और साल पूरा हो जाएगा
सादर अभिवादन..
साल पूरा होने को है
इस सांध्य दैनिक का
महीना नहीं गुजरेगा
और साल पूरा हो जाएगा
सादर अभिवादन..
आज की रचनाएँ कुछ यूँ है...
जिंदगी देती है दर्द
ये समझना कुछ नया तो नहीं
पर ये भी तो मानो
कि, तुम्हारी चमक
जैसे पूनम के चाँद को देख कर
लगी हो, स्नेहसिक्त ठंडी छाया
और फिर
बंद आँखों के साथ
बालों में फेर रही हो तुम उंगुलियां !
सधे हुए
होंठ मगर
हाथों से छूट गई |
कल मुझको
सुनना
ये वंशी तो टूट गई |
माँ .....उषा किरण
माँ..
सारे दिन खटपट करतीं
लस्त- पस्त हो
जब झुँझला जातीं
तब...
तुम कहतीं-एक दिन
ऐसे ही मर जाउँगी
घोसले पर लौटती चिड़िया .....संजय भास्कर
रोज देखता हूँ घर की छत से
एक बड़ा सा झुण्ड
चिड़ियों का
जो शाम को लौटती है
अपने घोसलों पर
कई बार सोचा लिखू कुछ चिड़ियों
के लिए
लोग ....अपर्णा त्रिपाठी
जग सारा इक मंजर पर, एक खौंफ है आंखों में
फिर भी मन मैले देखे, हमने लोगों की बातों में
कौन रहेगा कौन बचेगा, सवाल खड़ा दरवाजों में
फिर भी दिल छोटे देखे, हमने लोगों की बातों में
साँझ ....श्वेता सिन्हा
दिनभर
फुदकती है
चिरैय्या
गुलाबी किरणें
चोंच में दबाये
साँझ की आहट पा
छिपा देती हैं,
अपने घोंसलों में,
तिनकों के
रहस्यमयी
संसार में।
...
आज बस
कल फिर
सादर..
माँ .....उषा किरण
माँ..
सारे दिन खटपट करतीं
लस्त- पस्त हो
जब झुँझला जातीं
तब...
तुम कहतीं-एक दिन
ऐसे ही मर जाउँगी
घोसले पर लौटती चिड़िया .....संजय भास्कर
रोज देखता हूँ घर की छत से
एक बड़ा सा झुण्ड
चिड़ियों का
जो शाम को लौटती है
अपने घोसलों पर
कई बार सोचा लिखू कुछ चिड़ियों
के लिए
लोग ....अपर्णा त्रिपाठी
जग सारा इक मंजर पर, एक खौंफ है आंखों में
फिर भी मन मैले देखे, हमने लोगों की बातों में
कौन रहेगा कौन बचेगा, सवाल खड़ा दरवाजों में
फिर भी दिल छोटे देखे, हमने लोगों की बातों में
साँझ ....श्वेता सिन्हा
दिनभर
फुदकती है
चिरैय्या
गुलाबी किरणें
चोंच में दबाये
साँझ की आहट पा
छिपा देती हैं,
अपने घोंसलों में,
तिनकों के
रहस्यमयी
संसार में।
...
आज बस
कल फिर
सादर..
व्वाहहहहहह..
ReplyDeleteसादर..
हार्दिक आभार आपका |अच्छे लिंक्स |
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteBahut khoobsurat prastuti
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर मेरी रचना को स्थान देने के लिए से आभार आपका।
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