Sunday, May 17, 2020

357.,,रिश्ते की परिभाषा ही बदल गई

कोशिश यही है कि
कोरोना हमारे पेज में
न फैले इसीलिए..
हम इस पेज में कोरोना रहित
रचनाएं चुनी गई...
कोशिश जारी हो गई है....

सादर नमस्कार..

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मतलब की साथी है दुनिया 
कई कोस पर अपना घर है ,
घोड़ा -गाड़ी ,दाना -पानी 
नहीं साथ में ,कठिन सफ़र है ,
भटकाते ये मील के पत्थर 
नहीं दे रहे बढ़ने बाबू !


छाँव घने पेड़ की
बातों बातों में खींच रही है
ले जा रही है बारम्बार मुझे
उस वृक्ष के नीचे जहां
फूलों की वर्षा हो रही है
पेड़ की टहनियों से



कुछ ही दिनों में
कितना सब कुछ बदल गया
तुम बदल गए
मैं बदल गई
तेरे मेरे रिश्ते की
परिभाषा ही बदल गई


Love romantic poem
तुम अपने प्रेम से 
मुझे मुक्त होने को 
कहते हो?

तो कह दो उस
आसमाँ से कि
अपनी बारिश की
बूँदों को धरती से
वापस ले जाए।


वो जहाँ भी रहे 
खुश रहे 

क्योंकि
जबतक मैं उसके प्यार मे था 
अंधेरे में भी उजाला नजर आता था
...
आज बस
शायद कल फिर
सादर

5 comments:

  1. वो जहाँ भी रहे
    खुश रहे ...
    अच्छी रचनाएँ..
    सादर..

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  2. हार्दिक आभार आपका |सभी लिंक्स अच्छे |

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  3. कुछ बदला हुआ सा पढ़ना अच्छा लगा ।सुन्दर प्रस्तुति ।
    सादर ।

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  4. सुंदर रचना प्रस्तुति

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  5. कोरोना रहित प्रस्तुति अच्छी रही !

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