सादर नमस्कार
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
सोची थी आज दिन भर फेसबुक में घूमूंगी
पर कहां.. दो प्रस्तुतियां
खैर चलिए रचनाएँ देखें
उखड़ो-उखड़ो खड़ो बाजरो
ओ जी उलझा मूँग-ग्वार
हरा काचरा सुकण पड़ग्या
ओल्या-छोना करे क्वार
सीटा सिर पर पगड़ी बांध्या
दाँत निपोर हर्षाव है।।
ये तो अच्छा हुआ वो रूठ कर यूँ ही चल दिए मुझसे,
अगर तीरे नज़र चलता तो दिल आर-पार हो जाता |
अमानत थी किसी की फिर भी इस दिल को रखना काबू में,
कशिश इतनी थी आँखों में ये दिल तार-तार हो जाता |
परन्तु मैं अकिंचन
न रंग न शब्द न छैनी
केवल भावनाएं हैं
वो भी कभी उफनती किलकती
कभी लड़खड़ाती
वही अर्पित करती हूं श्रीहरि
अपने अंक लगाए रखना
"कहता है कि,.कन्हैया तो
दूध-छाछ पीने वाले नंद बाबा का पुत्र था!.
शराब पीने वाले का नहीं।"
पति पत्नी के बीच कुछ देर के लिए
एक गहरा सन्नाटा छा गया
मुरलीधर माधव नैन बसा
छवि जिनकी बहुत निराली है
कभी ले हरी नाम अरी रसना!
अब साँझ भी होने वाली है......
आज के लिए बस
कल फिर..
सुंदर रचनाओं का संकलन, जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सराहनीय प्रस्तुति।
ReplyDeleteमुझे स्थान देने हेतु दिल से आभार दी।
सादर
उत्कृष्ट लिंकों के साथ लाजवाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद आपका।
कृष्ण जन्माष्टमी की अनंत शुभकामनाएं।