सादर अभिवादन..
ऊपर वाले से ये मत कहो कि
मेरे साथ समस्याएं है बल्कि
समस्याओं से कहो कि मेरे साथ ऊपरवाला है.
अब रचनाएँ....
रक्षाबंधन के दिन हमेशा की तरह आरती की थाल में दो राखियाँ देख
शौर्य ने इस बार माँ से पूछा,
"मम्मी! सबके घर में सिर्फ़ बहन ही भाई को राखी बाँधती है और
हमने फिल्मों में भी यही देखा है न।
फिर आप ही क्यों मुझसे भी दीदी को राखी बँधवाती हो" ?
तो माँ बोली,
"बेटा जानते हो न ये रक्षा बंधन है और इसका मतलब"...
"हाँ हाँ जानता हूँ रक्षा करने का प्रॉमिस है रक्षा बंधन का मतलब ,
पर दीदी इतनी सुकड़ी सी... ये भला मेरी रक्षा कैसे करेगी ? मम्मी !
रक्षा तो मैं इसकी करुँगा बड़े होकर। पड़ौस वाले भैय्या की
तरह एकदम बॉडी बिल्डर बनकर...।
जागृत हो जाता है मन में ,
बचपन का वह लाड़ दुलार
जबकि मनौती मांगे बहना,
जिये भाई उसका सौ साल
ना आई तब याद करोगे
मेरी राखी जब पहुंचेगी
दुखी हो स्वीकार करोगे
यही बातें तब याद आएंगी
मन से न लगाना उन को |
सदा समय एकसा नहीं रहता
उससे समझौता करना होता
बहना मेरी दूर पड़ा मै दिल के तू है पास
अभी बोल देगी तू "भैया" सदा लगी है आस
मुन्नी -गुडिया प्यारी मेरी तू है मेरा खिलौना
मै मुन्ना-पप्पू-बबलू हूँ बिन तेरे मेरा क्या होना ! -
दो बच्चे मेरे और दोनों जैसे उत्तरी घ्रुव और दक्षिणी ध्रुव।
बेटी नर्सरी में थी तो प्राय: आनन्दिता की सताई हुई बिसूरती हुई घर आती।
-आज आनन्दिता ने थप्पड़ मारा।
-आज आनन्दिता ने नोचा।
-आज आनन्दिता ने पेंसिल छीन ली।
-आज आनन्दिता ने टिफिन खा लिया ।
भैय्या मेरे राखी के बंधन को निभाना
सादर
Thanks for the post here
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर इस पर्व के नए भावों व नए अर्थों को समाए हुए सभी रचना बहुत उत्तम !
ReplyDeleteसमस्याओं से कहो मेरे साथ ऊपर वाला है …🙏
उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति..... मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद आपका।
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स और संकलन आदरणीया रक्षाबंधन को आप ने यादगार बनाया, सभी रचनाकारों को बधाई, भाई बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन पर आप ने मेरी रचना भैया का गहना है बहना , को मान दिया बहुत खुशी हुई, आप सब को ढेरों शुभकामनाएं और बधाई। राधे राधे
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