Thursday, August 19, 2021

735..मुसलमानों में ही बंटवारा करवा दिया है। कत्लेआम शुरू करवा दिया है।

 सादर अभिवादन..

इस नगर में,
लोग या तो पागलों की तरह
उत्तेजित होते हैं
या दुबक कर गुमसुम हो जाते हैं।
जब वे गुमसुम होते हैं
तब अकेले होते हैं
लेकिन जब उत्तेजित होते हैं
तब और भी अकेले हो जाते हैं।

- अलकनंदा सिंह


आज की स्टोरी
दयानन्द पाण्डेय उवाचः
अब देखिए न उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतने के लिए अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को भेज दिया है। अभी तक हिंदू , मुसलमान करते थे। अब मुसलमान , मुसलमान करने लगे हैं। मुसलमानों में ही बंटवारा करवा दिया है। कत्लेआम शुरू करवा दिया है। औरतों पर ज़ुल्म तो ज़ुल्म , मुसलमानों को मुसलमानों से ही लड़वा दिया है। यहां तक कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान के मौलवी , मुल्ला को भी लड़वा दिया है। पाकिस्तान के मुल्ला , मौलवी अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की हरक़तों की मजम्मत कर रहे हैं और भारत के मौलवी , मुल्ला तालिबान की खुशामदीद में संलग्न नज़र आ रहे हैं। अजब मंज़र है।

ये भाजपा , आर एस एस वाले जो न करवा दें , कम है। पंजाब में चुनाव जीतने के लिए पाकिस्तान में महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति भी कल तोड़वा दी। और सिद्धू से कह दिया , खबरदार जो इस पर कुछ बोला। सो सिद्धू समेत समूची सिख संगत ख़ामोश है। सिख संगत की देखा-देखी , सभी वामपंथी और कांग्रेसी आदि-इत्यादि भी डर कर ख़ामोश हो गए। और तो और अतिवादी राकेश टिकैत के जहरीले बोल भी बंद। ऐसे , गोया शत्रुघन सिनहा ने ख़ामोश ! बोल दिया हो। अभी देखिए और क्या-क्या करते हैं यह लोग !

सब का साथ , सब का विकास , सब का विश्वास शायद कम पड़ रहा था जो अब की 15 अगस्त को लाल क़िले से इस में सब का प्रयास भी जोड़ दिया। सब का प्रयास शब्द जोड़ते ही भाजपा वालों ने अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को इशारा किया और तालिबान ने बिना किसी देरी के 15 अगस्त से ही प्रयास शुरू कर दिया। बताइए कि कमल खिलाने के लिए भाजपा वाले अब सरहद पार भी पहुंच गए। मैं तो कहता हूं कि अगर भाजपा , आर एस एस से सब लोग डरे हुए हैं , कुछ नहीं बोल पा रहे तो चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को इस का स्वत: संज्ञान ले लेना चाहिए। क्यों कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता , 
सहिष्णुता आदि शब्द बौने हो कर विश्राम मोड में आ गए हैं।




ताकत और हथियारों के बल पर
सत्ता स्थापित करने की  कहानियाँ
इतिहास के लिए नयी नहीं...,
नयी तो होती है
पुनर्जन्म लेकर भी
गुलामों की फौज में शामिल होने की
अपरिवर्तित प्रवृतियाँ।


सायादार दरख़्तों के बीच है
पिंजरों का संसार, बंद कांच के घरों में तैरती,
रंगीन मछलियां,
खोलती हैं मुग्धता का द्वार,
इन कटहरों से झांकते हैं
कुछ विश्व विख्यात चेहरे,
जिन्हें मिल चुका है,
चुप रहने का - -पुरस्कार,


शरीया कानून को अल्लाह का हुक्म मानने वाले तालिबानी ज़ुल्म-ओ-सितम की सारी हदें पार कर दिया करते हैं, इधर भारत के देवबंदियों को अफगानिस्तान में अमन-ओ-चैन का आलम दिखायी देने लगा है । ज़ाहिर है कि देवबंदियों के सपनों में भारत के लिये भी वैसे ही अमन-ओ-चैन के आलम की तस्वीरें बड़ी हिफ़ाजत से सुरक्षित हैं । जो सेकुलर यह कहते नहीं थकते कि दुनिया के सभी धर्म इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं उन्हें एक बार अफगानिस्तान, यमन, सीरिया और पाकिस्तान जैसे देशों में कुछ दिन ज़रूर गुजारने ही चाहिये


पूज्य पिता जी
मैं बेहद शर्मिन्दा हूँ। आज आपको मेरी वजह से लज्जित होना पड़ा। आगे प्रयास करूँगा कि ऐसा मौका दोबारा ना आये। आप आम का वृक्ष लगा रहे हैं , आपको बबूल का काँटा ना मिले। भविष्य में शायद गर्व करने लायक पुत्र बन सकूँ। तब आप मुझे क्षमा कर देंगे न?
....
आत्म कथ्य 
गांधार,अफगानिस्तान और सम्पूर्ण वाहिक प्रदेश
भारत का था, है और रहेगा
सादर

7 comments:

  1. ये दयानन्द पांडे उवाच समझ नहीं आया .... यदि आर आर एस या भा ज पा इतने ही दबंग होते तो मानता बैनर्जी और बाकी पार्टी के लोगों को भी ऐसा ही कुछ कर दिया जाता । खैर ....

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  2. आदरणीय दीदी
    ब्लॉग का नाम सरोकारनामा
    ब्लॉग लेखक पाण्डेय जी
    पूरा का पूरा लेखन ही जस का तस
    उतार दी हूँ.. सोच सटीक लगी
    सादर नमन

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    1. सोच सटीक लगी मतलब कि इस बात से सहमत हैं कि ये सब भा ज पा और आर आर एस करा रहा है ?
      कमाल है ....

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  3. तालिबान ने ऐसा खेल खेला
    सारे के टूलकिट गायब..
    किसी को पक्ष या विपक्ष
    पर बयानबाजी करने की इच्छा ही नहीं है
    सादर..

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  4. असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

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  5. सच तो है कि जाने हम कहाँ किस मोड़ पर आ गये ं।

    श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए शुभकामनाएँ।

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