Wednesday, August 4, 2021

720 ..सूरज ऐसे ही अपराजित योद्धा नहीं कहलाता...

सादर अभिवादन
आदरणीय संदीप शर्मा
नाम ही काफी है
लॉकडाऊन की उपज
विगत दो वर्षों से प्रकृति के प्रति अटूट प्रेम 
कुल मिलाकर एक ऑक्सीजन की फेक्ट्री
2021 में कविता में आए और छा गए

2021 की उपलब्धि 42 फॉलोव्हर  कुलपेज व्यू-13949

सिस्टम
से बंधे हैं
बिना
शर्त
हंसते और मुस्कान
बिखेरते
सच की नज़ीर लिखते...।
सूरज
ऐसे ही अपराजित योद्धा
नहीं कहलाता...।


रंगों
का कारोबार
बदन
पर केंचुए सा
रेंगता है।


हम साक्षी नहीं होना चाहते
ऐसी प्रकृति के
जिसमें
केवल
स्वार्थ के पथरीले जंगल हों
जहां
का कोई रास्ता
जीवन की ओर न जाता हो।


अलसुबह
गूंथकर बनाए गए
बेसन के लड्डू
जो
भरोसे पर खरे उतरते
ही थे।
गर्व से बाजू में बैठकर
हमारी समझदारी भरी बातें
सुनकर
मन ही मन उसका मुस्कुराना।


मुझे पसंद है
तुम्हारे चेहरे पर नजर आना।
तुम्हें पसंद है
मेरे शब्द, भाव, गहनता
मुझे पसंद है
तुम्हारा वह
होले से आकर मुझे छू लेने वाला अहसास।


मैं पूछ बैठा
बस्ती में
क्या प्रेम
बसता है
शरीर में
मन में
आत्मा में
या फिर
केवल शरीरों का एक लबाजमा है
...
कल गूगल जी महाराज ने सखी श्वेता का ब्लॉग मन के पाखी को  अकारण ही बंद कर दिया
काफी कोशिशों के बाद उसे चालू करवाया गया...इस कार्य में सहायक हुए आदरणीय डॉ. सुशील जी जोशी,,,पर भयभीत है सखी हमारे मुखरित मौन का यू आर एल भी 
https://mannkepaankhi.blogspot.com ही है..वे सोच रही है कहीं ये भी गूगल के निगाह में न आ जाए..सखी की इल्तिज़ा है कि उन्हें मुखरित मौन से हटा दिया जाए
और एक खुश-खबर दिव्या को मुम्बई मे जॉब मिल गई है 12 लाख रु. वार्षिक साथ ही कंवर सा को भी 18 लाख +फ्लेट+गा़ड़ी एक एम.एऩ.सी. में काम मिला है, 
तो दिव्या भी अब से चर्चाकार नहीं रहेगी..
एक ़़डरकर छो़ड़ रही है और दूसरी मजबूरी में..
शुभकामनाएँ दोनों को
सादर 


18 comments:

  1. पहले तो आभार...क्योंकि आपने मुझे बहुत अधिक मान दिया...। अब कहना चाहता हूं कि आपके आरंभिक सहयोग से ही मैं ब्लॉग को समझ पाया और उसे आज बेहतर तरीके से संचालित कर पा रहा हूं...। आपका परिचय दिया सीमा जी। आपने मेरा मुखरित मौन में परिचय बहुत शानदार दिया है....वाकई ब्लॉग की दुनिया बहुत अलग है, गहरे लेखकों की दुनिया। मुखरित मौन के मंच पर और आपके द्वारा मेरी रचनाओं में चयन करना दोनों ही मेरे लिए गौरव की बात है। आपने मेरी जिन रचनाओं के लिंक यहां शेयर किये हैं वह वाकई मुझे भी बहुत पसंद हैं। आपके अब तक मिले सहयोग के लिए आभारी हूं और आगे भी यह इसी तरह सतत जारी रहेगा यह उम्मीद करता हूं।

    कुछ अपने बारे में बताना चाहत हूं...लेखन मुझे कॉलेज लाइफ से ही बहुत पसंद है, मैं हमेशा से सोचता हूं कि जिंदगी को हम चुनते हैं और उसे अपने अनुसार जीते हैं लेकिन ऐसा नहीं है एक समय के बाद हम केवल उसका अनुसरण करते हैं। मैं उन खुशकिस्मत लोगों में से हूं जिन्हें जॉब भी वही मिला जो शौक था...मैं पत्रकारिता में 20 साल रहा और देशभर के ख्यात अखबारों में संपादकीय विभाग में कार्य किया और खूब अनुभव भी लिया लेकिन इसी बीच देखा कि प्रकृति पर बहुत लिखने की आवश्यकता थी, लेकिन कहीं न कहीं हाथ बंधे से महसूस होते थे, लगता था कि मन का नहीं हो पा रहा है, जॉब में ही तय किया कि अपनी पत्रिका का संपादन करना ही है....और 2018 से अपनी पत्रिका का संपादन कर रहा हूं...100प्रतिशत प्रकृति के संरक्षण पर खरी पत्रिका...। कविता मेरे मन में कहीं बहुत गहरे बसती है और बेहतर राह आपके मंच से मिल रही है....आभार आपका।

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    1. आभार भाई संदीप जी..
      जो लिक्खेगा वह पढ़ा ज़रूर जाएगा
      बचपने से लिखने के प्रयास ने आपकी राह आसान कर दी..
      साधुवाद..
      सादर

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    2. जी बहुत शुक्रिया...।

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  2. दिव्या जी को खूब बधाई...बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं...

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    1. मिया-बीबी दोनों मिलकर तीस लाख सालाना
      वाकई बधाई के पात्र हैं दोनों
      शुभकामनाएं..

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  3. संदीप जी का प्रकृति प्रेम और कविता दोनो जैसे एक दूसरे के पूरक हैं,ये एक सुंदर बात है कि हम दोनो हो चीजें एक साथ देखने को मिल रही हैं ।
    संदीप जी की हर रचना एक संदर्भ लिए होती है,और संदेशपूर्ण भी । जो आपकी लेखनी की विशेषता है,आपके सुंदर सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. आभार आपका जिज्ञासा जी...हम इस प्रकृति से ही सीखकर अपनी प्रकृति सुधार सकते हैं..। नेह भरी प्रतिक्रिया के लिए साधुवाद

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  4. दिव्या जी और कंवर सा. दोनो को नव पथ की हार्दिक शुभकामनाएं और असंख्य बधाई 💐💐

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  5. मैने कुछ नहीं किया। :) दिव्या को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।

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  6. अभिनव रचनाओं से सजा सुंदर अंग आदरणीय दीदी |संदीप जी ब्लॉग जगत में अपना संवेदनशील लेखन लेकर आये और अपने चिंतन को सुधि पाठको के बीच स्थापित किया |संदीप जी के बारे में उनसे ही जानना बहुत अच्छा लगा | उनके लेख और प्रकृति से जुडी शोधपरक जानकारियाँ प्रकृति के प्रति उनके गहरे जुड़ाव की प्रतीक हैं | गद्य और पद्य दोनों में बेहतरीन लेखन करते हैं |संदीप जी के ब्लॉग से जुड़ने के बाद मैं भी इन चींजों के बारे में बहुत सोचने लगी हूँ | पर उनके ब्लॉग पर एक पाठक की टिप्पणी ने मुझे सोचने पर विवश किया | जिसका भाव ये था कि खाली प्रकृति की चिंता करने से बात नहीं बनती | जब सब लोग शहरी जीवन और सुख सुविधाओं के लिए लालायित हैं तो कोई प्रतिबद्धतता प्रकृति को बनी बचा सकती | ये एक कडवा सच है | गाँव खाली हो रहे हैं लोग शहरों में बसकर स्वछंद जीवन जीना चाहते हैं | गाँव से पलायन रुक जाए तो कुदरत भी अपने पक्ष में होते देर नहीं लगाएगी | संदीप जी जैसे निस्वार्थी और अथक योद्धाओं को नमन जो इस दिशा में जागरूकता के जरिये अतुलनीय कार्य को अंजाम दे रहे हैं | संदीप जी को ढेरों बधाईयाँ और शुभकामनाएं | उनसे जुड़कर लोग सार्थक कार्य करें यही कामना है | सादर

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    1. मन अभिभूत हो गया आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से...। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा बेहतर होने की ओर इशारा करती है... मैं तो यही सीख रहा हूँ...। आपको बताना चाहता हूँ कि प्रकृति पर मासिक पत्रिका वैचारिक आंदोलन है और एनजीओ के साथ पत्रिका का संयुक्त पौधारोपण अभियान हरी हो वसुंधरा जमीनी काम के लिए आरंभ किया...।अब तक नीम, पीपल और आंवले का रोपण अपने हाथो कर रहे हैं...। आपका आभार ...यूं ही बेहतर बताईएगा...। साधुवाद

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  7. आपका लेखन मुझे बहुत पसंद है आदरणीय संदीपजी। पर्यावरण और प्रकृति के प्रति जागरूकता फैलाने का जो कार्य आप कर रहे हैं उसके लिए आप सचमुच प्रशंसा और बधाई के पात्र हैं। शुभकामनाएँ।
    प्रिय दिव्या को हार्दिक बधाई।
    एक और बात, पिछले कई महीनों से ये हो रहा है कि अचानक हमारे ब्लॉग के पेजव्यूज प्रतिदिन सैकड़ों में बढ़ने लगते हैं, फिर एकदम कम होकर एक दो प्रतिदिन तक हो जाते हैं। कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं।

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    1. प्रिय मीना जी की बात से सहमत हूँ | अचानक ब्लॉग पेज रिव्यू का विस्फोट चिंता में डालने वाला है | आदरणीय दीदी से कई माह पहले मैंने आग्रह किया था इस विषय में | दुबारा निवेदन है पांच लिंकों इत्यादि पर इस विषय में बहस हो और यदि कोई जानता हो इस बारे में जरुर बताये | सादर |

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    2. आभार आपका मीना जी...।

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  8. प्रिय श्वेता के ब्लॉग के बारे में ये  खबर  चिंता करने वाली है | एक प्रतिष्ठित ब्लॉग पर  गूगल की ये हिमाकत तो आम ब्लॉग कैसे बचेंगे ? खैर , अंत भला  तो सब भला | और  सुशील  जी इस विषय में   निसंदेह प्रशंसा के पात्र हैं  |  प्रिय दिव्या और कंवर सा   की उपलब्धि के बारे  में  जानकर  अपार  हर्ष हुआ |  दोनों को खूब  बधाईयाँ  और शुभकामनाएं |अपनी  मेहनत  से इतना   ऊंचा   मुकाम हासिल करना  बहुत सुखद है | दिव्या से आग्रह है वह ब्लॉग पर बीच- बीच में  अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती रहे |

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  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  10. बहुत शानदार अंक संदीप जी की लेखन शैली ,विषय , प्रकृति और जीवों के प्रति अगाध स्नेह उन्हें सहेजे रखने की अदम्य कामना और कितने ही गुण है जो उन्हें ब्लाग जगत में एक आदर्श स्थान पर स्थापित करते हैं।
    एक शानदार साहित्य सृजक पर मुखरित मौन का शानदार प्रदर्शन।
    मुखरित मौन एंव संदीप जी बहुत बहुत बधाई।
    संदीप जी की शानदार रचनाएं एक जगह पाकर मन हर्षित हुआ।, मुखरित मौन को शुक्रिया इस सुंदर प्रस्तुति के लिए।
    सादर।
    सभी रचनाएं बहुत बहुत सुंदर।

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