Tuesday, August 10, 2021

726 ,,कुछ भूल गये मुझको, कुछ अजनबी हुये मुझसे

सादर अभिवादन
(आदरणीय सीमा सिंधल) सदा दीदी
किसी परिचय की मोहताज नहीं है
आज मैं उनकी पुरानी रचनाएं पढ़वा रही हूँ
उनका परिचय वे स्वयं ही देंगी
रचनाएँ देखिए....

न, तुम बुरा मत मानना
बस कुछ शब्दों की मैंने
आज यूँ ही मरम्मत की है,
कुछ जख्मी शब्दों को
दिलाई है दर्द से निज़ात भी
कुछ हिचकियों को ...
पानी भी पिलाया है


सवाल पर
सवाल मेरा,
तुम्‍हारा
खामोश रहना,
जानते हो
कितनी उलझने
खड़ी कर देता है
मेरे लिये,
उन खामोशी के
पलों में कितना
बिखर जाती हूं


दर्द के रिश्‍ते में एक नया दर्द आ गया,
भूलकर हर दर्द जब भी मुस्‍कराना चाहा ।

आंखे ख्‍वाब सजा लेती एक नया फिर से,
जब भी मैने टूटा हुआ ख्‍वाब छुपाना चाहा ।


दर्द आज
बयां करना चाहता था
अपनी पीड़ा को
जो उसे असहाय कर चली थी
जब से वह
उसके भीतर पली थी


बदल जाती हर सुबह
एक कली की जिंदगी,
वह खिलकर फूल बन जाती
कभी वह चढ़ा दी जाती
किसी देवता के चरणों में
कभी चढ़ा दी जाती अर्थी पे
कहीं उसकी खुश्‍बू से
महक उठता
घर का कोना-कोना


गुरबत पे मेरी मुझको छोड़ सबको तरस आया,
सब मुझे छोड़ गये मैं न उसको फिर छोड़ पाया ।

कुछ भूल गये मुझको, कुछ अजनबी हुये मुझसे,
मैं लौटा यादें साथ ले जब मुश्किल ये मोड़ आया ।
...
अब ये मंच सदा दीदी के हवाले
दीदी का आशिर्वाद मिला

इस बरसात के मौसम में
बोना चाहती हूँ 
बीज मैं मुस्कराहटों के
बड़ी उदासी 
देखी है बीते दिनों !!

ये पंक्तियाँ हाल ही मैं लिखी थी, अभी कहीं पोस्ट भी नहीं की थी .. पर आज अनुजा यशोदा ने मुस्कराने की वजह दे दी। ब्लॉग की नई-पुरानी रचनाओं  का सुंदर संकलन कर अचंभित कर दिया …. अभिभूत आपके स्नेह से 
आपके श्रमसाध्य प्रयास के लिए .. आपका हार्दिक अभिनंदन 
आभार दीदी
सादर नमन

 

7 comments:

  1. बहुत सुंदर तथा सार्थक रचनाओं से सज्जित आज का अंक अपने आप में परिपूर्ण और शानदार है,आदरणीय यशोदा दीदी का आभार और सीमा जी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई 💐💐

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  2. सभी सुरक्षित व स्वस्थ रहें

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  3. बहुत सुंदर रचनाएँ संकलित की अनुजा आपने ... स्नेहिल आभार

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    1. आभार दीदी
      नवयुगल को ढेरों शुभकामनाएं
      आपकी थकान भी उतर गई होगी
      सादर नमन..

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