Friday, August 6, 2021

722 ...बड़े ही संगीन जुर्म को अंजाम दिया तुम्हारी इन कजरारी आँखों ने

सादर अभिवादन
आज प्रस्तुत है रवीन्द्र भारद्वाज जी की रचनाएँ
दो ब्लॉग हैं इनके
राग और काव्यधारा
काव्यधारा मे अधिकतर स्थापित रचनाकारों की रचनाएं है
पूरी जानकारी आप ब्लॉग में जाएंगे तो स्वतः प्राप्त कर लेंगे
रचनाएं देखिए..

अध्ययन, काव्य-सृजन, चित्रांकन, फिल्में देखना ये शौक है रवीन्द्र जी के

तेरी आँखों मे
चांद चमकता है

तेरी बातो मे
गम पिघलता है

मुझे नही मालूम
मै तुम्हे क्यू नही अच्छा लगता


क्योंकि
इश्क़ होने में
मुद्दत लगता है
और बिछड़ने में
घड़ी भर का समय।


वो चली गयी
भोर की ट्रेन से
हँसते-हँसते

इसबार
उसे थोड़ा सा ही रोना आया

मुझे खुदपर तरस आता है
कभी-कभी
कि मैं खिंचा ही क्यों गया
अवचेतन होकर
तुम्हारे प्रेम के गहरे लाल समंदर मे...


मान लो
यह एक झूठी कहानी हो सकती है
या फिर हकीकत भी
मैं ठीक-ठीक नही बता पाउँगा।


फिर भी
एक दिया जलता है
जब साँझी के नाम
लगता
कोई पथ जोहे
खिड़की के पल्ले थाम,
बड़ी-बड़ी दो आँखें
पूछें
फिर-फिर वही सवाल ।

वो जहाँ भी रहे
खुश रहे

क्योंकि
जबतक मैं उसके प्यार मे था
अंधेरे में भी उजाला नजर आता था


बड़े ही संगीन जुर्म को अंजाम दिया
तुम्हारी इन कजरारी आँखों ने

पहले तो नेह के समन्दर छलकते थे इनसे
पर अब नफरत के ज्वार उठते हैं इनमे
मुझे दिखते
....
मैं ....
रवीन्द्र भारद्वाज आपकी अदालत में
सादर


4 comments:

  1. अच्छा लिखते हैं युवा कवि रविंद्र भारद्वाज | मैं उनको बहुत पढती हूँ | वे प्रेम कवि हैं और प्रेम की विभिन्न अवस्थाओं को अभिव्यक्त करने में उनका कोई सानी नहीं | सोने पे सुहागा चित्रकार गजब के हैं | बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनाएं युवा रचनाकार को | आपके दोनों ब्लॉग बढिया हैं | आजकल कम लिख रहे हैं | लगता है फेसबुक ज्यादा भा गयी है कविवर को |

    ReplyDelete
  2. मुझे यहाँ पर,एक कवि के रूप में, प्रस्तुत करने के लिए ह्दयतल से आभार... आपका आदरणीया 🙏
    आपका स्नेह व आशीर्वाद सदा बना रहे ...

    मेरा काव्य-सृजन में रत होना आकस्मिक नही था, किन्तु जिस उद्देश्य से , काव्य-सृजन किया, वह निरूद्देश्य मालूम पड़ता था हाल ही में बीते एक-दो वर्ष, इसका मुझे बेहद खेद है...
    हाँ, इनदिनों कम लिख रहा हूँ, जीवन मे परिस्थितिया विपरीत होने की वजह से..फिरभी कोशिश यही है जल्द से जल्द लौट चलू अपने रचनात्मक सृजन पर।
    मेरा जीवन व परिवेश काव्य-सृजन के अनुकूल नही रहा है, फिरभी अपने रचनात्मक ह्दय को नई और ऊँची उड़ाने देने में तत्पर रहा हूँ।
    मेरे साथ जो कुछ घटित होता है, कविताओं के माध्यम से कहना अच्छा लगता है..वास्तविकता और यथार्थ के साथ थोड़ा-सा कल्पना का मिश्रण करता हूँ ..क्योंकि सहानुभूति से ज्यादा अनुभूति प्रभावित करती है हमे।
    प्रेम मेरा अनूठा विषय है, इसे सहज ही स्वीकार करता हूँ , किंतु असहजता व विडम्बना से भरा हुआ है आज का प्रेम और मेरा प्रेम भी।
    दस वर्षों से काव्य-सृजन और लगभग चार या पाँच वर्षों से रेखांकन कर रहा हूँ, संकोची स्वभाव के कारण यह सब मित्रों तक ही सीमित था पहले।
    लेकिन ब्लॉगिंग की दुनिया मे आकर पता चला, निःसंकोच ही मैं अपनी रचनाएँ यहाँ साझा कर सकता हूँ ..
    यशोदा जी , दिग्विजय जी ,रेणु जी , रवीन्द्र यादव जी, गोपेश मोहन जी और अनिता दी से मिला स्नेह, प्रेम व संस्कार, और बेहतर और अच्छा लिखने को प्रेरित करता है...आप सभी को सह्दय आभार 🙏 सादर ।
    🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  3. रवीन्द्र जी से परिचय कराने के लिए यशोदा दीदी का आभार एवम अभिनंदन।

    ReplyDelete