Saturday, March 27, 2021

673.....झर-झर झरते...

सांध्य दैनिक के शनिवारीय
अंक में आपसभी का स्नेहिल अभिवादन

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पहन रंगीली चुनर रसीली
वन पलाश के इतराये,
झर-झर झरते रंग ऋतु के
फगुनाहट मति भरमाये,
खुशबू गाये गीत गुलाबी
भाव विभोर ऋतु पीर-सा।
फूटे हरसिंगार बदन पे,
चुटकी केसर क्षीर-सा।
#श्वेता

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आइये आज की रचनाओं का आनंद लें
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बुजुर्ग वो छाँव होते हैं जो जीवन के असंख्य ऋतुओं की मनमानी सहकर भी अपनी बाहों में पल रहे जीवों को
स्नेह और सुरक्षा प्रदान करते हैं। 
उम्र के ढलान पर जब तन शिथिल और मन भावुक होता तब उन्हें अकेलेपन से उबारने के लिए
उन ज़रा सा स्नेह भरा गुलाल लगा दें वो भी खुशियों के रंग से भर उठेंगे पढ़िए  एक गहन अभिव्यक्ति-

वृद्धाश्रम में होली

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हास्य व्यंग्य की अनूठी विधा में होलियाना हुडदंग 
मचाती एक तीखी रचना-

जोगीरा 


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फागुन और शृंगार का 
मिलन मौसम में अजब खुमारी 
घोल देता है,हृदय की विकलता, सरस
 अनुभूति से सरोबार एक 
अद्भुत अभिव्यक्ति


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हमारे देश के 
सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण 
दर्शनीय स्थलों का गुणगान सिर्फ़ शब्दों से करते रहे ये भूल गये कि समय-समय पर इनका रख-रखाव,जीर्णोद्धार
जरूरी है।
अपनी बेशकीमती धरोहरों के प्रति  जागरूकता का संदेश देता , अगाह करता सराहनीय लेख,जिसपर गंभीरतापूर्वक सभी को अवश्य ध्यान देना चाहिए। 

बदहाल ऋषिकेश


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अपनी अनूठी शैली और धारदार अंदाज़ में
लिखी गयी रचना,जिसमें निहित संदेश समाज,देश 
धर्म, जाति के संवेदनशील विषय अपने तर्क से

गहरा असर छोड़ रहे-

सुलग रही है विधवा


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आज बस इतना ही

कल मिलिए यशोदा दी से।






9 comments:

  1. बेहतरीन अंक..
    सभी को पर्व की शुभकामनाएं
    सावधानी ही बचाव है..
    आभार..
    सादर..

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  2. वाह!श्वेता ,खूबसूरत प्रस्तुति ।सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँँ

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  3. व्यापारी तो था नामचीन,
    पर दुकान खोली रोली की
    पास गिरजाघर के,
    व्यापार यूँ भला चलता क्योंकर?
    बताओ भला..

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  4. आदरणीया श्वेता सिन्हा जी पंक्तियों से सजी आज की प्रस्तुति अत्यंत ही मनमोहक है.....
    पहन रंगीली चुनर रसीली
    वन पलाश के इतराये,
    झर-झर झरते रंग ऋतु के
    फगुनाहट मति भरमाये,
    खुशबू गाये गीत गुलाबी
    भाव विभोर ऋतु पीर-सा।
    फूटे हरसिंगार बदन पे,
    चुटकी केसर क्षीर-सा।
    सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।।।।

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  5. खूबसूरत प्रस्तुति.. होली, होली बस होली ही..🙂
    रचना को सम्मानित करने के लिए धन्यवाद।
    सभी को शुभकामनाएँ।

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  6. पहन रंगीली चुनर रसीली
    वन पलाश के इतराये,
    झर-झर झरते रंग ऋतु के
    फगुनाहट मति भरमाये,
    खुशबू गाये गीत गुलाबी
    भाव विभोर ऋतु पीर-सा।
    फूटे हरसिंगार बदन पे,
    चुटकी केसर क्षीर-सा।
    #श्वेता
    ये फागुन तो बहुत रंगीन है , मति भ्रम कर रहा ।पूरी प्रकृति ही रंगों से सज रही । खूबसूरत लिखा है ।
    आज के सभी लिंक्स बहुत बढ़िया रहे । और हर रचना पर विशेष टिप्पणी ने मन मोह लिया ।
    होली की शुभकामनाएँ ।

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  7. आप सबों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ । रंग-बिरंगे सूत्रों का संयोजन एवं संकलन अति आकर्षक है । एकदम होलियाना अंदाज में । हार्दिक आभार ।

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति, होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  9. कमाल की भूमिका
    बहुत सुंदर संयोजन
    सभी को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    होली की हार्दिक शुभकामनाएं
    सादर

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