सादर नमस्कार
भारतीय हूँ
अपमानित हूँ
स्तब्ध हूँ
और..
क्रोधित भी हूं
और क्यों न होऊँ
मुझे मेरे देश
का ध्वज ..
जमीन पर पड़ा हुआ
दिखे तो..
खुश तो वे हैं जो भारतीय नहीं हैं
चंद रुपयों अथवा वाह-वाही के खातिर
अपनी ही माँ को निर्वस्त्र करने की साजिश
पुलिस के हाथ बंधे हुए थे
गर सैनिक होते तो
दहशतगर्द लहू-लुहान
अपनी ही माँ के गोद में फड़-फड़ा रहे होते
अत्यावेश भी सही नहीं
आभार , राजा साहब का
उपरोक्त पंक्तियों के कुछ शब्द उनके भी हैं
..
आज की रचनाएँ देखें...
राष्ट्र ध्वजा अपमानित कर लाल किले पर चढ़ बैठे,
नई कहानी गद्दारी की आज कमीने गढ़ बैठे।
वीरों के बलिदान का देखो उनको कैसा मूल्य मिला,
आज तिरंगा अपमानित है, शर्मिदा है लाल किला।
खालिस्तानी, पाकिस्तानी टुकड़े-टुकड़े वाले हैं,
इनको गंगा मत समझो ये केवल गन्दे नाले हैं।
क्या अपने ही देश में !
राष्ट्रीय पर्व पर
शोभा देता है अकल्पनीय यह व्यवहार
जिसमें नागरिक व पुलिस
हुए दोनों ही घातक हिंसा के शिकार !
भारत आगे बढ़ता है तो
कुछ लोग अनुभव करते हैं हीनता का
परेड में जिस देश की छवि दिखी
है वह उन्नति के शिखर पर चढ़ता हुआ
जिन लोगों ने यह निंदनीय कार्य किया है
चाहते हैं भारत की विमल छवि बिगाड़ दें,
ज़िन्दगी कोई तयशुदा निसाब नहीं,
हर क़दम पे थीं इम्तहां की सीढ़ियां,
हर मोड़ पे थे कई घुमावदार वादियां,
मिलने बिछड़ने का कोई हिसाब नहीं,
जमाने की नज़र में हो चुके हैं खाक हम लेकिन,
हमें मालूम है हम आपकी नज़रों में जीते हैं,
मेरे हर शेर पर “अंकुर” यहाँ कुछ दिल धड़कते हैं,
यहाँ सब ज़िंदगी को हो न हो खतरों में जीते हैं,
मैं देश हूँ तुम्हारा
मुझे प्यार से संवारो
मैं देश हूँ तुम्हारा
मुझे प्यार से संभालो
मै देश हूँ तुम्हारा
मुझे संकट से उबारों
मै देश हूँ तुम्हारा
मुझे हरा- भरा कर डालो
मैं देश हूँ तुम्हारा
मुझे हृदय में बसा लो
मै देश हूँ तुम्हारा
भइया!
हम बेजुबान किसान मज़दूर,
गरीब-गुरबा और बिना टेक्टर वाले जरूर हैं,
लेकिन दलाल, दंगाई और देशद्रोही नहीं!!!!
...
अब बस
सादर
...
अब बस
सादर
दहशतगर्द इंसानों का कोई वजूद नहीं होता, वे न घर न देश के होते हैं, धिक्कार हैं ऐसे लोगों की जिंदगी
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
आभार..
ReplyDeleteवास्तविक तथ्य सहित
सरकार भी देर से जागती है
काश अर्धसैनिक बल
कल समय पर आ जाती
सादर..
सार्थक प्रस्तुति। अत्यंत आभार!!!
ReplyDeleteऐसे दहशतगर्दों का मन राष्ट्रप्रेम जैसे पवित्र शब्द से अनभिज्ञ रहता है।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस के पावन पर्व में कृषक आंदोलन के बहाने राष्ट्र विरोधी तत्वों ने लाल किला को जिस तरह से क़ब्ज़ा किया, वो देश की आंतरिक सुरक्षा व एकता पर प्रश्न करता है, विशेषतः गृह मंत्रालय को इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए ताकि लोगों में असुरक्षा की भावना न उभरे, मुखरित मौन की पेशकश हमेशा की तरह मुग्ध करता है, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार - - नमन सह।
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